6 अगस्त 2019. रात के 11.15. दिल्ली का एम्स. अचानक दिल्ली की आबो-हवा में अजीब सी हलचल मच गई. नेताओं ने देश के सबसे बड़े अस्पताल का रुख करना शुरू कर दिया और खबर आई कि पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया. जंगल में आग की तरह यह खबर फैली और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर शोक संदेशों का तांता लग गया. लोग अपने-अपने तरीके से सुषमा स्वराज को याद करने लगे. जहां बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के नेता उनकी शख्सियत के बारे में बता रहे थे, वहीं आम लोग उनके संजीदा व्यक्तित्व और उपलब्धियों की तारीफ करते दिखे. सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार बुधवार को 3 बजे किया जाएगा.
पाकिस्तान को दिया था करारा संदेश
सुषमा स्वराज देश की पहली फुलटाइम महिला विदेश मंत्री थीं. हालांकि इंदिरा गांधी ने भी दो बार विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाला लेकिन प्रधानमंत्री रहते हुए. इंदिरा गांधी ने 6 सितंबर 1967 से 14 नवंबर 1966 तक और उसके बाद 19 जुलाई 1984 से 31 अक्टूबर 1984 तक. लेकिन इस दौरान वह प्रधानमंत्री भी रहीं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय संभालते ही सुषमा स्वराज ने अभूतपूर्व बदलाव किए. ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों की मदद करने से लेकर विदेशों में फंसे लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए उनकी जमकर तारीफ की गई. संयुक्त राष्ट्र में जब उन्होंने भाषण दिया तो पाकिस्तान बंगले झांकते नजर आया. वहीं डोकलाम मुद्दे पर भी उन्होंने चीन को संसद से करारा संदेश दिया था.
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन, यहां दें श्रद्धांजलि
बोलने में नहीं था कोई सानी
14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज को आरएसएस का ज्ञान घर से ही मिला. उनके पिता आरएसएस के बड़े नेता थे. अंबाला कैंट के सनातन धर्म कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और संस्कृत में बैचलर्स डिग्री हासिल की. इसके बाद चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की. बोलने में उनका कोई सानी नहीं था. इसके लेकर लगातार तीन साल उन्हें हिंदी की सर्वश्रेष्ठ वक्ता का अवॉर्ड भी मिला. इसके बाद 1970 में एबीवीपी के जरिए राजनीति में कदम रखा. 1973 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की. कॉलेज में उनकी मुलाकात स्वराज कौशल से हुई, जिसके बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ा. इसके बाद दोनों ने जून 1975 में इमरजेंसी लगने के कुछ ही दिन बाद शादी कर ली.
पहली सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रहीं
जुलाई 1977 में मुख्यमंत्री देवी लाल की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. वह पहली सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रहीं. 1987 से 1990 तक वह हरियाणा की शिक्षा मंत्री भी रहीं. साल 1990 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की. 1996 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद चुनी गईं. लेकिन 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं लेकिन बाद में बीजेपी चुनाव हार गईं और सुषमा ने वापस राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की. सुषमा स्वराज के निधन पर विदेशी राजनेताओं ने भी शोक जताया. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे लोधी रोड पर किया जाएगा.