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गरीब नहीं, सामान्य वर्ग की 99 फीसदी आबादी को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण!

केन्द्र सरकार द्वारा कराई गई कृषि जनगणना 2015-16, जिसका आंकड़ा सितंबर 2018 में जारी किया गया, के मुताबिक देश की 86 फीसदी भूमि पर काबिज जनसंख्या इस आरक्षण के लिए मान्य है.

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गरीब के लिए आरक्षण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
गरीब के लिए आरक्षण (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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केन्द्र सरकार ने आर्थिक तौर पर पिछड़ी सवर्ण जातियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. इस आरक्षण को देने के लिए देश में कोई जातिगत जनगणना का आंकड़ा मौजूद नहीं है. हालांकि 2011 में सरकार ने सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ी जातियों की जनगणना कराई थी, लेकिन इसका आंकड़ा भी जारी नहीं किया गया है. फिलहाल केन्द्र सरकार ने जिन दो आधार पर यह आरक्षण देने की बात कही है उसके मुताबिक वह परिवार जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष से कम है अथवा परिवार के पास 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) से कम भूमि है, उन्हें ही आरक्षण के लिए मान्य माना जाएगा.   

5 एकड़ से कम भूमि- 86 फीसदी परिवारों को मिलेगा आरक्षण?

केन्द्र सरकार द्वारा कराई गई कृषि जनगणना 2015-16, जिसका आंकड़ा सितंबर 2018 में जारी किया गया, के मुताबिक देश की 86 फीसदी भूमि पर काबिज जनसंख्या इस आरक्षण के लिए मान्य है. 2015-16 के आंकंड़ों के मुताबिक देश में 1 हेक्टेयर भूमि वाले (मार्जिनल) परिवारों की संख्या 99,858 है वहीं 1-2 हेक्टेयर भूमि वाले (स्मॉल) परिवारों की संख्या 25,777.

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लिहाजा, देश में 2 एकड़ से कम भूमि वाले कुल परिवार 1,25,635 जबकि सभी आकार की भूमि वाले परिवारों की कुल संख्या 1,45,727 है. लिहाजा, देश में 86 फीसदी ऐसे परिवार हैं जो भूमि के आधार इस आरक्षण के लिए मान्य परिवार हैं.

8 लाख प्रति वर्ष आय- 100 फीसदी परिवारों को मिलेगा आरक्षण

केन्द्र सरकार के 10 फीसदी आरक्षण के लिए दूसरा मापदंड परिवार की प्रति वर्ष 8 लाख रुपये से कम  (66,666 प्रति माह) आय है. नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 100 फीसदी परिवार इस आरक्षण के लिए मान्य हैं. इस रिपोर्ट में परिवार की आय का आंकलन मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (MPCE) को मासिक आय मानते हुए किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक देश के दोनों ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शीर्ष 5 फीसदी जनसंख्या- यदि प्रति परिवार 5 सदस्य की गणना की जाए- तो उनकी मासिक आय 66,666 रुपये से कम आती है. MPCE का यह आंकलन मॉडिफाइड मिक्स्ड रेफेरेंस पीरियड (MMRP) नियम से किया गया है.

चार्ट देखें: शीर्ष 5 फीसदी जनसंख्या (प्रति व्यक्ति मासिक आय आय रुपये में)

 प्रति व्यक्ति आय

परिवार में सदस्य/आय

परिवार में सदस्य/आय परिवार में सदस्य/आय परिवार में सदस्य/आय
   2 3 4 5
 ग्रामीण 4,4818,962  13,44317,924  22,405
 शहरी 10,281 20,56230,843  41,124 51,405

लिहाजा, चार्ट के मुताबिक यदि परिवार में 5 सदस्य हैं तो शीर्ष 5 फीसदी जनसंख्या की ग्रामीण इलाकों में मासिक आय 22,405 रुपये है और शहरी इलाकों में मासिक आय 51,405 रुपये है.

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99 फीसदी ग्रामीण परिवारों को मिलेगा आरक्षण

केन्द्र सरकार के एक अन्य आंकड़ों के आधार पर देखें तो 99 फीसदी ग्रामीण परिवारों को इस आरक्षण के दायरे में होंगे. नाबार्ड द्वारा 2016-17 में कराए गए ऑल इंडिया रूरल फाइनेनशियल इंक्लूजन सर्वे के मुताबिक केन्द्र सरकार द्वारा 10 फीसदी आरक्षण के लिए तय न्यूनतम वार्षिक आय की शर्त में ग्रामीण इलाकों के सभी परिवार शामिल होंगे.

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नाबार्ड सर्व के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में शीर्ष 1 फीसदी परिवार की मासिक आय 48,833 रुपये है. वहीं शीर्ष 5 फीसदी परिवार की मासिक आय 23,375 रुपये आंकी गई है और शीर्ष 10 फीसदी परिवार की मासिक आय महज 17,000 रुपये आंकी गई है.

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