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स्‍कूल में प्रेयर के दौरान टीचर को हाथ जोड़ने के लिए विवश नहीं किया जा सकता: कोर्ट

बंबई हाई कोर्ट ने शनिवार को अपने आदेश में कहा कि स्कूल में टीचर्स को प्रार्थना के दौरान हाथ जोड़ने या संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेते समय हाथ आगे करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता.

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बंबई हाई कोर्ट ने शनिवार को अपने आदेश में कहा कि स्कूल में टीचर्स को प्रार्थना के दौरान हाथ जोड़ने या संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेते समय हाथ आगे करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता.

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बौद्ध धर्म को मानने वाले एक टीचर की ओर से दायर याचिका पर 29 अक्‍टूबर को सुनवाई करते हुए जज अभय ओका और रेवती मोहिती धेरे की खंडपीठ ने कहा कि किसी टीचर को ऐसा करने के लिए मजबूर करना संविधान के तहत उसे प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन होगा.

न्यायाधीशों ने कहा कि याचिकाकर्ता स्कूल में दिन की शुरुआत में होने वाली प्रार्थना के दौरान स्कूल के अनुशासन से बंधा है, लेकिन उसे अपने हाथ जोड़ने के लिए विवश नहीं किया जा सकता.

याचिकाकर्ता संजय साल्वे पश्चिम महाराष्ट्र के नासिक शहर में मातोश्री सावित्रीबाई फूले माध्यमिक विद्यालय में बतौर टीचर काम करते हैं. स्कूल प्रशासन ने जब यह पाया कि संजय सुबह की प्राथना के समय खड़े होते समय हाथ नहीं जोड़ते और शपथ लेते समय अपना हाथ आगे नहीं करते, तब ‘अनुशासनहीनता’ का हवाला देते हुए उन्हें हायर सैलरी देने से मना कर दिया.

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हालांकि इस टीचर का तर्क था कि वह प्राथना के समय अन्य लोगों के साथ खड़ा रहता है और ऐसे में उन्होंने कोई निरादर नहीं किया है. उनका कहना था कि ये प्राथनाएं धार्मिक हैं और इस वजह से उन्होंने अपने हाथ नहीं जोड़े. इसके साथ संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेते समय भी वह अन्य टीचर्स के साथ खड़े रहे और इस अभ्‍यास में हिस्सा लिया, लेकिन अपना हाथ आगे नहीं किया.

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