भारत में एयरलाइंस कारोबार भारी संकट में है. सरकार की ओर से लोकसभा में जारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है. बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के सवाल पर सरकार की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक सार्वजनिक और निजी मिलाकर 10 विमान कंपनियों को भारी घाटा हुआ है.
दरअसल, बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने 18 जुलाई को सरकार से पूछा था कि देश में एयर इंडिया और अन्य निजी एयरलाइंस की वित्तीय स्थिति क्या है? देश में विमान कंपनियों की वित्तीय स्थिति के सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. नागर विमानन मंत्रालय के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि सरकार समय-समय पर एयरलाइंस इंडस्ट्री के सामने आने वाली चुनौतियों को सुलझाने के लिए गंभीर रहती है. विमानन उत्पाद ईंधन (एपीएफ) और एयरलाइन उद्योग को पुनर्जीवित करने और उद्योग की स्थिरता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार के स्तर से कई जरूरी प्रावधान किए गए हैं.
उन्होंने बंद हो चुकी जेट एयरवेज को पुनर्जीवित करने को लेकर उठे एक अन्य सवाल पर भी जवाब दिया. हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ऋणदाताओं ने संकल्प योजना के जरिए जेट एयरवेज की माली हालत दुरुस्त करने के विकल्पों पर विचार शुरू किया है. कंपनी को संकट से बचाने के लिए प्रमोटर्स और ऋणदाताओं की ओर से धनराशि की व्यवस्था कराए जाने की उम्मीद थी. चूंकि प्रमोटर्स ने अपने शेयर की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया, इसलिए भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्षता वाला कर्जदाता कन्सोर्टियम राशि उपलब्ध नहीं करा पाया.
इस बीच, कंपनी के प्रबंधन में परिवर्तन के लिए ऋणदाताओं ने बोलियां आमंत्रित कीं. फिर भी कोई बोली हासिल नहीं हुई. मंत्री ने बताया कि अब एयरलाइन की माली हालत केवल दिवाली और शोधन अक्षमता कोर्ड, 2016 (आईबीसी) के तहत ही सुधर सकती है. सरकार ने बताया कि वित्तीय संसाधनों को जुटाना और उसका संचालन करना एयरलाइन का दायित्व है. इसमें भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
ये विमान कंपनियां चल रही घाटे में
सरकार ने लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय वाहकों में एयर इंडिया, एयरलायंस एयर घाटे में हैं. वहीं निजी घरेलू एयरलाइंस की बात करें तो गो एयर, स्पाइस जेट, इंडिगो, ट्रू जेट, एयर डेक्कन, एयर ओडिशा, स्टार एयर, एयर हेरेटेज शामिल हैं. निजी विमान कंपनियां 29, 091 मिलियन रुपये के घाटे में चल रहीं हैं. सरकारी और निजी एयरलाइंस देखें तो 70,879 मिलियन रुपये के घाटे में हैं.