सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश के धर्मनिरपेक्षता पर चिंता जताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है लेकिन ये देश कब तक धर्मनिर्पेक्ष रह पाएगा ये कहना मुश्किल है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी बल दिया कि धार्मिक फरमान इस देश के कानून से ऊपर नहीं हो सकते.
जस्टिस विक्रमजीत सेन और सी नागप्पन की बेंच ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं. जस्टिस सेन और नागप्पन ने कहा, 'हमें नहीं पता कि ये देश कब तक धर्मनिरपेक्ष रहेगा. देश में धर्मनिरपेक्षता जरूरी है. इस देश में पहले से ही कई समस्याएं हैं.'
अधिवक्ता क्लारेंस पैस ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें ये मांग की गई थी कि धार्मिक संगठन द्वारा दिए किसी भी आदेश को अदालत की मंजूरी के बिना ना माना जाए. 85 साल के क्लारेंस कैथॉलिक एसोसिएशन ऑफ दक्षिण कन्नड़ इन कर्नाटक के प्रेसिडेंट रह चुके हैं.