राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने उल्फा से वार्ता के बारे में सरकार के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि देश की सम्प्रभुता और एकता की कीमत पर कोई बातचीत नहीं हो सकती है.
भागवत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश की सम्प्रभुता, एकता और सुरक्षा की कीमत पर कोई बातचीत नहीं हो सकती है. बातचीत तब तक नहीं हो सकती है, जब तक शांतिपूर्ण स्थिति बहाल नहीं होती. यह संघर्ष से संभव नहीं है, इसलिए बातचीत इन्हीं मापदंडों के दायरे में होनी चाहिए.’’
विभिन्न जातीय और अलगाववादी समूहों की ओर से स्वायत्तता और अलग राज्य की मांग किये जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘देश एक है और केवल प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन किया जाता है.’’ ईसाई संगठनों की ओर से उत्तरपूर्व में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण को रोकने के लिए आरएसएस की ओर से उठाने जाने वाले कदमों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘धर्मांतरण या तो लालच देकर या बलपूर्वक किया जा रहा है. पहले लोगों की ओर से कोई विरोध नहीं होता था, लेकिन अब लोग सजग हैं और हम उनके बीच जागरूकता फैला रहे हैं.’’