नोटबंदी के तीन महीने बाद भी नकदी की तंगी अभी पूरी तरह दूर नहीं हुई है. दिल्ली और मुंबई में कई एटीएम अब भी खाली पड़े हैं, तो वहीं जिन एटीएम में पैसे हैं वहां लोगों की लंबी कतारे हैं. वहीं राजनीतिक दल इसके पीछे सरकार की मंशा पर सवाल खड़ कर रहे हैं और आरोप लगाते हैं विधानसभा चुनावों में लाभ लेने के लिए दूसरी जगहों के एटीएम को खाली छोड़ चुनावी राज्यों में भरा जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को जब 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने का ऐलान किया था, तब उन्होंने 50 दिनों तक नकदी की तकलीफ की बात कही थी, लेकिन इस घोषणा के तीन महीने बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं.
राजधानी दिल्ली के महारानी बाग इलाके में कई एटीएम हैं, लेकिन स्थानीय निवासी बताते हैं कि बीते चार दिनों के दौरान उनमें से बस एक में ही नकदी डाली गई, बाकी सारे एटीएम खाली पड़े हैं. उसी एटीएम की कतार में लगे राहुल सिंह कहते हैं, 'यहां पर आसपास करीब 10 एटीएम हैं. मुझे पैसों की जरूरत थी, तो मैं सारे एटीएम के चक्कर लगा आया, लेकिन नोट नहीं. आखिर में बस यह एक एटीएम दिखा है, जहां पैसे निकल रहे थे. यहां भी लंबी लाइन लगी है, लेकिन जरूरत है, तो लाइन में खड़े हो गए.'
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी राजधानी के एटीएम में नकदी की कमी के पीछे केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हैं. उनका है कि उत्तर प्रदेश के पहले फेज के चुनाव के बाद से सारे नोट यूपी भेजे जा रहे हैं, दिल्ली में एटीएम में नोटों की रिफिलिंग नहीं की जा रही है. 'आप' नेता व संयोजक दिलीप पाण्डेय ने नोटबंदी के 100 दिन पूरे होने पर 17, 18, 19 फरवरी को देश भर में विरोध प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया है.