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NPR पर अरुंधति रॉय का विवादित बयान- कोई पूछे तो नाम रंगा-बिल्ला और पता रेस कोर्स बताएं

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है.

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लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय (फोटो-PTI)
लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय (फोटो-PTI)

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  • लेखिका अरुंधति रॉय ने केंद्र सरकार पर हमला बोला
  • एक्टर जीशान अय्यूब-अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी पहुंचे

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है. अरुंधति रॉय नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली यूनिवर्सिटी में जमा हुए कई यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं. अरुंधति रॉय के साथ ही फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब और अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी नॉर्थ कैंपस पहुंचे.

सरकार झूठ बोल रही है

अरुंधति रॉय ने कहा, 'सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैंप के मुद्दे पर झूठ बोल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं. जब कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र, सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है.'

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NPR भी NRC का ही हिस्सा

नागरिक जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर अरुंधति रॉय ने छात्रों से कहा, 'एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए. अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं.'

मां पहले दस्तावेजों को बचाती है...

अरुंधति रॉय ने बेहद तल्ख अंदाज में सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'नॉर्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है. क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा.'

सरकार से शिक्षा-रोजगार पर सवाल पूछें

जेएनयू में 30 साल तक प्रोफेसर रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने छात्रों से कहा कि वे 'सरकार से शिक्षा और रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें. अरुण कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है, विकास दर साढ़े चार प्रतिशत भी नहीं बची और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं.'

रोजगार की भारी किल्लत

उन्होंने कहा कि 'केवल संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले 6 प्रतिशत लोग सरकार की गिनती में हैं. असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी किल्लत है. घटते रोजगार से ध्यान बंटाने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है ताकि लोग अर्थव्यवस्था की बात छोड़ धर्म के नाम पर एक नए विवाद में फंस जाएं.'

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(इनपुट-IANS)

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