भारतीय पत्रकारिता की सबसे बुजुर्ग हस्ती अब दुनिया में नहीं रही. जाने-माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह का 99 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर आखिरी सांस ली.
पिछले साल जब वह 98 साल के हुए थे तो उन्होंने कहा था, 'अब समय आ गया है कि अपने बूटों को टांगकर वह एक बार पीछे मुड़कर देखें और अंतिम यात्रा के लिए तैयार हो जाएं. लेकिन जिंदगी यह सिलसिला खत्म करने की इजाजत ही नहीं देती.'
आखिरकार जिंदगी ने उन्हें 100 वसंत नहीं देखने दिए.
देश के मशहूर लेखकों में से एक खुशवंत का जन्म पाकिस्तान के पंजाब में हदाली नाम की जगह पर हुआ था. वह 'योजना' के फाउंडर एडिटर और 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया', नेशनल हेराल्ड और हिंदुस्तान टाइम्स के एडिटर रहे हैं.
उन्होंने 'ट्रेन टु पाकिस्तान', 'आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल' और 'डेल्ही' जैसी क्लासिक किताबें लिखी हैं. 95 साल की उम्र में उन्होंने 'द सनसेट क्लब' नॉवेल
लिखा था. नॉन फिक्शन में उन्होंने सिख धर्म, संस्कृति, दिल्ली, प्रकृति, करेंट अफेयर्स और
उर्दू कविता पर भी काम किया है. इसमें दो खंडों वाली किताब 'अ हिस्ट्री ऑफ द सिख्स' भी शामिल है.
2002 में उनकी ऑटोबायोग्राफी 'ट्रुथ, लव एंड अ लिटिल मैलिस' छपकर आई थी. खुशवंत सिंह 1980 से 1986 तक सांसद भी रहे हैं. 1974 में ही उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था लेकिन 1984 में अमृतसर के 'स्वर्ण मंदिर' में केंद्र सरकार की कार्रवाई के विरोध में उन्होंने यह पुरस्कार लौटा दिया था. 2007 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया.