आज तक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इंडिया टुडे के संपादक व इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने जम्मू-कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में पहली बार मंत्री बने फारुक अब्दुल्ला से बात की. फारुक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार में मंत्री बनने से लेकर घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कई विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय दी.
गौरतलब है कि फारुक अब्दुल्ला को केंद्र सरकार में वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री बनाया गया है. हालांकि इस मंत्रालय के नाम से ज्यादातर लोग परिचित नहीं हैं. इस पर फारुक का कहना है कि प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने उन्हें इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें भी बड़ा कर दिया क्योंकि अब लोग इस मंत्रालय को अच्छी तरह जानने लगेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मंत्रालय देने से पहले उनसे बात की थी और उन्होंने पीएम के सामने कोई मांग नहीं रखी थी.
इस बार केंद्र सरकार के मंत्रियों में 9 पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं. इसपर चुटकी लेते हुए फारुक कहते हैं कि वो सीएम क्लब बनाएंगे और सब एक साथ मिलकर अपनी किस्मत पर रोएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उस क्लब का अध्यक्ष वीरभद्र सिंह या शरद पवार को बनाया जाएगा क्योंकि वो सबसे वरिष्ठ हैं. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस तरह का कम महत्व वाला मंत्रालय दिया गया है तो क्या वो देश के लिए कुछ कर पाएंगे, तो फारुक का जवाब था कि अगर इंसान करना चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है. उन्होंने कहा कि देश के लिए बहुत कुछ करना है और बड़ा बदलाव मुमकिन है.
मंत्रालयों के बंटवारे में किसी प्रकार की नाइंसाफी से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में विवेक से फैसले हुए और किसी के साथ गलत नहीं किया गया. अब्दुल्ला ने कहा कि जो जिम्मेदारी मिली है उसे निभाते हुए काबिलियत दिखानी होगी क्योंकि मंत्री बनना परीक्षा से कम नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर वतन के लिए काम करना हो तो कोई भी काम छोटा नहीं होता. जरूरी नहीं कि कोई आदमी किसी महत्वपूर्ण पद को प्राप्त कर ले तभी देश के लिए कुछ कर सकता है.
{mospagebreak}जब उनसे पूछा गया कि ऐसा मंत्रालय मिलने से उनकी पहचान कहीं खो तो नहीं जाएगी, उन्होंने कहा 'मेरी अपनी पहचान है और मेरे साथ मेरा मंत्रालय और महकमा भी बढ़ेगा.' फारुक पिछले 6 साल से सत्ता से बाहर रहे हैं और अब जाकर पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं. इस पर उनका कहना है 'सत्ता में आना मजबूरी नहीं थी बल्कि लोग समझते कि मैं मैदान छोड़कर भाग गया, इसलिए मैं सत्ता में वापस आया.' मनमोहन सिंह की कैबिनेट के मंत्रियों के पहले शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचने के मामले में उन्होंने कहा कि समारोह में जानबूझकर या किसी नाराजगी की वजह से नहीं आने की बात गलत है.
जम्मू-कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के मामले पर उन्होंने कहा कि घाटी में पहले माहौल सुधरना चाहिए फिर वो खुद ही वापस आ जाएंगे. हालात सुधर रहे हैं लेकिन अभी इतने अच्छे नहीं हुए कि पंडित लौट सकें. लोकतंत्र और राजनीति में वंशवाद के मामले पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिवार में पलने बढ़ने वाले बच्चों के खून में होती है, बच्चे राजनीति समझते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला को राजनीति में आने से मना भी किया था लेकिन वो नहीं माने. उन्होंने यह भी कहा कि ठीक और गलत का फैसला आवाम करती है ना कि मैं. जनता ही नेताओं के बच्चों को चुनावों में जीत दिलाती है. इस बातचीत में फारुक अब्दुल्ल अपनी राष्ट्रपति बनने की तमन्ना को नहीं छिपा सके और उम्मीद की कि वो एक दिन राष्ट्रपति जरूर बनेंगे. जम्मू-कश्मीर की बागडोर फिर से संभालने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब वो दुबार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.