उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की हत्या के सीन्स के कारण विवादों में आई फिल्म ‘द इंटरव्यू’ की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. सोनी पिक्चर्स पर साइबर अटैक के बदले में बाधित इंटरनेट सेवा से परेशान उत्तर कोरिया को उम्मीद की किरण भारत की ओर से नजर आई है. बताते चलें कि विरोध के बाद सोनी पिक्चर्स ने फिल्म को सिर्फ अमेरिका में डिजिटल रिलीज किया था, जो वहां डाउनलोड कर देखी जा सकती है. उत्तर कोरिया का विरोध इस कारण कमजोर पड़ता जा रहा था, क्योंकि फिल्म देखे बिना विरोध संभव नहीं है, लेकिन भारत की ओर से बिंदुविवादी संगठनों के मिले समर्थन के बाद ये समस्या भी दूर होती नजर आ रही है.
भारत के प्रमुख विवादी संगठनों में एक के कार्यकर्ता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि ‘द इंटरव्यू’ के विरोध के लिए कहानी पता होने या फिल्म देखने की कोई तुक नहीं बनती. इसके पहले वो बिना देखे ‘पीके’ का भी सफलतापूर्वक विरोध कर चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप फिल्म पूरे देश के सिनेमाघरों से उतार ली गई और बुरी तरह फ्लॉप हुई.
उत्तर कोरिया के बिंदुविवादी संगठनों का सहारा लेने की वजह इन संगठनों का एक भी बिंदु मिल जाने पर बाल की खाल निकाल डालने की विशिष्ट योग्यता बताई जाती है. इस सब की शुरुआत तब हुई जब उत्तर कोरिया के नेशनल डिफेंस कमीशन प्रमुख को एक चर्चित मैसेजिंग एप पर वो ऑडियो मिला, जिसमें भारत में सालभर बाद रिलीज होने जा रही ‘बजरंगी भाईजान’ के 'लव जेहाद' को बढ़ावा देती फिल्म बताकर विरोध करने की बात कही गई थी.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है. टि्वटर पर 'बॉयकॉट इंटरव्यू' ट्रेंड कर रहा है. साथ ही फेसबुक पर दस सवाल लिखकर पूछे जा रहा है कि फिल्म में सिर्फ नॉर्थ कोरिया का ही मजाक क्यों बनाया गया है? साउथ कोरिया का क्यों नहीं? कई लोग ये भी कह रहे हैं कि कोरिया प्रमुख का इंटरव्यू लेने वाले सीरिया या अरब जाकर इंटरव्यू क्यों नहीं लेते? कुछ एक ने ‘सोनी’ का विरोध करते हुए देशभर के सुनारों से सोने की चीजें खरीदना बंद करने का भी आग्रह किया है.