कम ज्ञात प्रजातियों में शामिल वन्यजीवों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के साथ इंटरपोल भी इनकी जांच करेगा. पर्यावरण मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
इन कम ज्ञात प्रजातियों में प्रमुख रूप से पेंग्विन, समुद्री घोड़े और समुद्री खीरे शामिल हैं जिनके अवैध शिकार और अवैध व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में जांच की जाएगी.
ट्रैफिक इंडिया के मुताबिक, इन कम ज्ञात प्रजातियों का शिकार पिछले कुछ सालों की तुलना में कई गुना बढ़ा है और इसे रोकना मुश्किल हो गया है. अनुमान के मुताबिक साल 2009 से 2013 के बीच भारत में करीब 3350 पैंगोलिन मारे जा चुके हैं. सिर्फ पूर्वोत्तर में ही कई मामले दर्ज हुए हैं. दवा और खाद्य के क्षेत्र में भारी मांग के चलते ईस्ट एशिया और चीन में पेंग्विन और कई अन्य प्रजातियों के कालाबाजारी की बात भी सामने आई है.
ट्रैफिक इंडिया के प्रमुख नीरज शेखर ने बताया कि हम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला रहे हैं ताकि इन प्रजातियों की परेशानियों के बारे में लोगों को बताया जा सके. इन परेशानियों की तह तक और इसमें शामिल लोगों तक पहुंचना बेहद जरूरी है.
विभिन्न वन्यजीव एजेंसियों की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक 2000 से 2013 के बीच अकेले तमिलनाडु में 20,500 कछुए जब्त किए जा चुके हैं. यह आंकड़ा 1990 से 1999 के बीच महज 2074 था, जबकि ये आंकड़ा पक्षियों में 7 लाख और शार्क के मामले में 70 हजार टन है. भारत इंडोनेशिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा शार्क पकड़ने वाला देश है.
यूपीए सरकार ने 2013 में भी सीबीआई और इंटरपोल की मदद से आतंकवादी संगठनों और वन्यजीव अपराध के बीच कथित संबंधों की जांच करने की घोषणा की थी. हालांकि, जांच को शुरू नहीं किया जा सका था.