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घरवापसी के समर्थक थे अंबेडकर: RSS

आप भीमराव अंबेडकर को संविधान समिति के अध्यक्ष और एक दलित विचारक के रूप में जानते होंगे. लेकिन बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) उनके विचारों पर नया दावा किया है.

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B R Ambedkar
B R Ambedkar

आप भीमराव अंबेडकर को संविधान समिति के अध्यक्ष और एक दलित विचारक के रूप में जानते होंगे. लेकिन बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) उनके विचारों पर नया दावा किया है. संघ उन्हें इस्लामी कट्टरपंथ, धर्मांतरण, कम्युनिज्म और आर्टिकल 370 के खिलाफ बोलने वाला एक 'शुद्धिकर्ता' साबित करने पर तुल गया है. संघ मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' के संपादक ने अंबेडकर को 'घरवापसी' का समर्थक तक बता डाला है.

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अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर आगामी मंगलवार को संघ के दोनों मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' और 'पांचजन्य' 200 पन्नों का विशेषांक निकाल रहे हैं. इन अंकों में संघ अंबेडकर को एक नए वैचारिक रूप में दिखाएगा. अंग्रेजी अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' ने यह खबर दी है.

अंबेडकर को बताया जाएगा राष्ट्रवादी
संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और राम जन्मभूमि मूवमेंट को छोड़कर संघ के दोनों मुखपत्रों ने कभी इस तरह का विशेषांक नहीं निकाला है. हाल ही में नागपुर में हुए सम्मेलन में संघ की ओर से कहा गया कि अंबेडकर ने 'सबके लिए एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान' की बात कही और समावेशी समाज के लिए लोगों को जोड़ने पर जोर दिया.

बताया जा रहा है कि संघ के इन मुखपत्रों में अंबेडकर को राष्ट्रवादी के तौर पर दिखाया जाएगा. इसमें कई दलित नेताओं और सहसरकार्यवाह कृष्ण गोपाल का लेख भी होगा. इन विशेषांकों को संघ के सरकार्यवाह भैयाजी सुरेश जोशी लॉन्च करेंगे.

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'राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ थे अंबेडकर'
पाकिस्तान पर अंबेडकर के विचारों पर संघ खास तौर से जोर देगा. ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा, 'वह उस राजनीतिक इस्लाम की मूल आत्मा के आलोचक थे, जो हिंदुओं की कमजोरियों का फायदा उठाता है और अपराध का रास्ता अपनाता है. जब पाकिस्तान और हैदराबाद जैसे प्रांतों में अनुसूचित जाति के हिंदुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण किया गया, अंबेडकर ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और धर्मांतरित किए गए हिंदुओं का दोबारा स्वागत करने की बात कही. एक तरह से उन्होंने घरवापसी का समर्थन किया.'

उन्होंने आगे कहा, 'गांधी की मौत के बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया. इस तरह से उन्होंने गांधी से किया अपना वह वादा निभाया जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म के करीबी धर्म को अपनाने की बात कही थी.'

केतकर ने कहा, वह सिर्फ दलित नेता नहीं, एक राष्ट्रीय नेता थे और हम यही कहने की कोशिश कर रहे हैं. केतकर ने बताया कि पत्र के विशेषांक में अंबेडकर के असल भाषणों, लेखों और धनंजय खीर की लिखी हुई उनकी बायोग्राफी के संदर्भ इस्तेमाल किए जाएंगे. केतकर ने कहा, 'मार्क्सवादी अंबेडकर को पसंद करते हैं पर उन्होंने वर्ग संघर्ष की अवधारणा को खारिज कर दिया था और खुद को कम्युनिस्टों का पक्का दुश्मन बताया था.'

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