स्वच्छ रेल का सपना पूरा करने के लिए अब रेल मंत्री सुरेश प्रभु स्कूली बच्चों को साफ-सफाई के काम में उतारने जा रहे हैं. रेलवे ने इस काम के लिए एनजीओ सुलभ इंटरनेश्नल को जिम्मेदारी सौंपी है. सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिदेश्वर पाठक ने खुद को रेलवे स्वच्छता अभियान का ब्रांड अंबेसडर घोषित किए जाने के मौके पर इस बात की जानकारी दी.
पाठक के मुताबिक उनकी एनजीओ का जाल 20 राज्यों में फैला हुआ और यहां स्कूली बच्चों के तकरीबन 164 क्लब हैं. इन सभी को बारी-बारी से स्टेशन और रेलवे की साफ-सफाई में लगाया जाएगा और जो बच्चे इस काम में भाग लेंगे उनको एनजीओ एक सर्टीफिकेट देगी.
पंचायत के लोगों को भी जोड़ा जाएगा
इस बारे में रेल भवन में आयोजित एक समारोह में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सुलभ इंटरनेश्नल के काम की तारीफ करते हुए कहा कि दीवाली के बाद अच्छे दिन आते हैं. रेलवे को साफ-सुथरा रखने के लिए सभी की भागीदारी होगी और स्थानीय स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी जिसमें स्कूली बच्चों के साथ-साथ पंचायत के लोग भी शामिल किए जाएंगे.
सफाई करेंगे तो कब पढ़ेंगे बच्चे?
रेलमंत्री और सुलभ इंटरनेशनल भले ही स्कूली बच्चों को रेलवे की साफ सफाई अभियान में शामिल करने के मंसूबे पर खुश हो रहे हैं लेकिन साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने वाली रेलवे के लिए ये वाकई शर्म की बात है कि स्टेशनों की साफ-सफाई के लिए बड़े-बड़े दावे करने के बाद रेलवे अब स्कूली बच्चों के हाथ में कलम की बजाए झाड़ू सौंपने जा रही है.