भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा अफजल गुरू को कांग्रेस का दामाद बताए जाने के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ :आरएसएस: के पूर्व प्रमुख के.एस. सुदर्शन ने मुस्लिम तुष्टीकरण को लेकर कांग्रेस से सवाल किया है कि क्या अल्पसंख्यक उसके ‘दामाद’ हैं.
धर्मपाल शोधपीठ द्वारा कल यहां भारत भवन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में आरएसएस के पूर्व प्रमुख सुदर्शन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों का देश के संसाधनों पर पहला हक है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का ऐसा कहना मानसिक असंतुलन का लक्षण है, क्योंकि इस देश के संसाधनों पर क्या राष्ट्र के सभी नागरिकों का एक समान हक नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसा कहने की जरूरत क्यों पड़ी.
संगोष्ठी में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि देश संधिकाल से गुजर रहा है. कोई राष्ट्र जब ऐसी परिस्थितियों से गुजरता है, तो उसके लक्षण पहले ही नजर आने लगते हैं. दूसरी ओर, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आरएसएस के पूर्व प्रमुख सुदर्शन के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि भाजपा और संघ एक ही थली के चट्टे-बट्टे हैं.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता जे.पी. धनोपिया ने आज यहां एक वक्तव्य में कहा कि भाजपा और संघ दोनांे का काम इस देश में सांप्रदायिकता फैलाना है. इससे पहले भाजपा अध्यक्ष गडकरी और प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा भी अपने बयानों के जरिए देश का राजनीतिक वातावरण बिगाड़ने का प्रयास कर चुके हैं.