जम्मू-कश्मीर का एक विश्वविद्यालय शहतूत की पत्तियों से नयी तरह की ‘चाय’ विकसित करने में लगा है.
एसके यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर साइंस एंड टेक्नोलाजी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर सबकुछ उनकी योजना के मुताबिक रहा, तो कश्मीर जल्द ही चाय उत्पादक राज्यों से मुकाबला करने लगेगा. उन्हें उम्मीद है कि शहतूती चाय 2 साल में बाजार में होगी. यह चाय शहतूत की पत्तियों के सत से तैयार की जाएगी.
विश्वविद्यालय के रेशम कीट पालन विभाग की प्रमुख डाक्टर रफीका कामिली ने कहा, ‘‘हमने विश्वविद्यालय में 2007 में शहतूती चाय के लिए परीक्षण शुरू किया और इसके उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर में रेशम उत्पादन के लिए शहतूत उगाया जाता है. इससे निकली चाय की मार्केटिंग की जा सकती है. अगले साल विभाग द्वारा निष्कर्ष निकालने पर मार्केटिंग की जाएगी.’’ कामिली ने कहा कि वैज्ञानिकों ने शहतूत की पत्तियों से विभिन्न चाय की विभिन्न किस्में निकाली हैं और इसकी मार्केटिंग कश्मीर एवं राज्य से बाहर की जा सकती है.