इसके अलावा मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि अगर एनपीआर में किसी का नाम नहीं चढ़ पाता है, तो उसकी नागरिकता नहीं जाएगी. एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं हैं. हालांकि विपक्ष का कहना है कि एनपीआर और एनआरसी का सीधा कनेक्शन है. सरकार एनपीआर के रूप में एनआरसी को ला रही है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर एनपीआर को एनआरसी की दिशा में पहला कदम बताया है.
ओवैसी ने 26 नवंबर 2014 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को भी ट्वीट पर शेयर किया है, जिसमें राज्यसभा में जवाब देते हुए तत्कालीन गृहराज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कहा था कि एनआरसी भारत में रहने वाले सभी नागरिक और गैर नागरिकों का रजिस्टर है. एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों की नागरिकता को वेरीफाई करके एनआरसी को तैयार करने की दिशा में पहला कदम है. इसमें यह भी कहा गया था कि आधार के डेटा को एनपीआर में तब्दील करने का भी प्रस्ताव है. जून 2015 तक 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों का बायोमैट्रिक नामांकन कर लिया जाएगा.
इसके अलावा ओवैसी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले महारजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त का कार्यालय की वेबसाइट का एक लिंक शेयर किया है, जिसमें एनपीआर और एनआरसी का जिक्र किया गया है. इसमें साफ लिखा है कि नागरिकता कानून की धारा 14A के तहत प्रत्येक नागरिक के लिए एनआरसी में रजिस्टर करवाना बेहद जरूरी है. एनआरसी को तैयार करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की दिशा में एनपीआर पहला कदम है. नागरिकता के स्टेटस को वेरीफाई करने के बाद एनआरसी को शुरू किया जाएगा. भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए एनआरसी में रजिस्टर करवाना जरूरी है.