असम में जारी NRC डाटा से देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया है. असम में रहने वाले करीब 40 लाख लोग खुद को कागजों में भारतीय नागरिक साबित नहीं कर पाए हैं. जिसके कारण अब उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मसले पर आक्रामक बयान दे रहे हैं और कथित रूप से 'घुसपैठियों' को देश से बाहर निकालने की बात कह रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस मसले पर सवाल खड़े कर रहा है और सरकार पर निशाना साध रहा है.
अभी तक इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ सिर्फ शिवसेना ही खुले तौर पर आई है जबकि अन्य दल इसका विरोध कर रहे हैं. सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर संग्राम तेज है, पढ़ें आखिर अभी तक इस मसले पर बड़े राजनीतिक दलों की क्या राय है.
1. BJP के लिए अमित शाह ने संभाला मोर्चा
मंगलवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष को निशाने पर लिया. पहले राज्यसभा और उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अमित शाह ने विपक्ष से पूछा कि वह आखिर घुसपैठियों का साथ क्यों दे रहे हैं. राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के सारे नेताओं को मैंने ध्यान से सुना, मैं पूरी बात सुन रहा था कि किसी ने ये नहीं बताया कि NRC क्यों आया.
उन्होंने कहा कि असम में इसको लेकर बड़ा आंदोलन हुआ, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई. जिसके बाद 14 अगस्त, 1985 को राजीव गांधी ने असम समझौता किया. शाह ने कहा कि इस समझौते का मूल ही NRC था. इसमें कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर NRC बनाया जाएगा, ये आपके ही प्रधानमंत्री लाए थे, लेकिन आपमें इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हमारे में हिम्मत है और हम कर रहे हैं.
2. ममता बनर्जी ने जताया गृहयुद्ध का डर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) में करीब 40 लाख लोगों के नाम न होने को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी. उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया. ममता ने कहा, 'हम ऐसा नहीं होने देंगे. बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति बन जाएगी, खूनखराबा होगा.'
ममता ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फायदे के लिए असम में लाखों लोगों को ‘‘राज्यविहीन’’ करने की कोशिश कर रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यहां एक सम्मेलन में कहा, ‘‘राजनीतिक मंशा से एनआरसी तैयार किया जा रहा है. हम ऐसा होने नहीं देंगे. वे (भाजपा) लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. इस हालात को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. देश में गृह युद्ध, खूनखराबा हो जाएगा.’’
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3. कांग्रेस के निशाने पर मोदी सरकार
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार को राष्ट्रहित एवं एकता के इस मुद्दे पर जिम्मेदाराना बर्ताव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बड़ी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी की तरह छोड़ दिए जाने का मुद्दा उठा रही है और यह अस्वीकार्य है.
आनंद शर्मा के अलावा गुलाम नबी आजाद ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया. उन्होंने कहा कि NRC साबित करने की जिम्मेदारी सिर्फ व्यक्ति पर नहीं बल्कि सरकार पर भी होनी चाहिए. क्योंकि सभी के लिए यह साबित करना आसान नहीं है और सभी व्यक्ति को कानूनी सहायता मिलनी ही चाहिए. साथ ही आजाद ने कहा कि किसी के साथ जबदस्ती नहीं होनी चाहिए और 16 सबूतों में से कोई एक भी सबूत मिलने पर उसे स्वीकार किया जाना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे देश में कोई भी नागरिक को जाति-धर्म के आधार पर बाहर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है और संख्या 40 लाख नहीं बल्कि परिवारों को मिलाकार 1.2 करोड़ से ज्यादा है.
4. मायावती ने मोदी सरकार को घेरा
बसपा अध्यक्ष मायावती ने 40 लाख से ज्यादा लोगों को एनआरसी में शामिल नहीं किए जाने का मुद्दा उठाते हुए इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की. मायावती ने कहा, ‘‘भाजपा ने 40 लाख से अधिक धार्मिक तथा भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त करके केंद्र और असम की भाजपा सरकारों ने अपना संकीर्ण एवं विभाजनकारी लक्ष्य प्राप्त कर लिया है. मायावती ने कहा कि इस ‘‘अनर्थकारी’’ घटना से देश में एक ऐसा उन्माद उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत मुश्किल होगा.
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5. समाजवादी पार्टी ने पूछा- आखिर कहां जाएंगे लोग?
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि ऐसी चर्चा है कि जिनके पास सबूत हैं उनके भी नाम लिस्ट से काटे गए हैं. यादव ने कहा कि संविधान के मुताबिक किसी को भी देश के किसी भी हिस्से में रहने का मौलिक अधिकार है जबकि लिस्ट में से बिहार, यूपी, हिन्दू, मुसलमान सभी के नाम काटे गए हैं, वो अब कहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में अगर किसी का नाम काट दिया जाएगा तो वह कहां जाएगा, क्योंकि वह कोई विदेशी तो है नहीं.
बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया. असम देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं.