कल्पना कीजिए कि आपके शरीर पर 20 मीटर की ऊंचाई से खौलता पानी, गर्म राख, अंगारे और तेज दबाव का भाप एक साथ गिरे तो क्या होगा? रायबरेली में एनटीपीसी के प्लांट में बुधवार दोपहर ठीक वही हुआ, जिसकी कल्पना करने मात्र से रूह कांप उठे. पिछले 7 सालों में हुआ भारत का शायद यह सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा है. अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हैं. इस हादसे में एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है.
12 बजे ट्रिप कर गई थी मशीन
प्लांट के अंदर पहुंची 'आजतक' की टीम से बातचीत करते हुए एक कर्मचारी ने बताया कि बारह बजे के बाद बॉयलर ट्रिप कर गया था. तीन बजे इस दोबारा चालू किया गया और तभी ब्लास्ट हो गया. ऐसे में सवाल है कि जब 12 बजे बॉयलर एक बार खुद बंद हो गया तो दोबारा शुरू करने से पहले उसकी जांच हुई थी या नहीं? अगर जांच हुई तो आने वाले खतरे का अंदाज़ा एक्सपर्ट क्यों नहीं लगा सके? क्या यही वो लपरवाही है, जिसने ये तबाही मचाई. 12 बजे मशीन का ट्रिप करने पर ही सचेत हो जाना चाहिए था. मशीन ने खुद ही गड़बडी का इशारा किया, लेकिन उसके बाद भी खराबी को दूर किए बिना तीन घंटे बाद मशीन फिर चला दी. ऐसे में साफ है कि कहीं न कहीं बड़ी लापरवाही बरती गई है.
धमाका होते ही छा गया अंधेरा...
प्लांट में काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि अचानक पूरा बॉयलर हिलने लगा फिर गैस पाइप फट गई. अस्पताल में भर्ती इस मजदूर ने बताया कि धमाका होते ही मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उसके बाद क्या हुआ, कुछ होश नहीं है. बॉयलर में ब्लास्ट 500 मेगावाट के अंडरट्रायल यूनिट में हुआ. उस वक्त करीब 200 लोग वहां आसपास काम कर रहे थे.
ऐश पाइप का जाम होना हादसे की बड़ी वजह
प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों के मुताबिक बॉयलर फटने की एक बड़ी वजह ऐश पाइप का जाम होना है. राख निकलना बंद गई थी, जिसकी वजह से बॉयलर में ब्लास्ट हो गया. ज़ाहिर है राख वाले पाइप का जाम होना सीधे-सीधे लापरवाही का मामला है, जिसने ऊंचाहार के इस नेशनल थर्मल पॉवर प्लांट में तबाही मचा दी.
चंद सेकेंड में गलने लगीं चमड़ियां
धमाका होते ही चारों ओर अफरातफरी मच गई. सैकड़ों मज़दूर अपनी जान बचाने के लिए भागे, लेकिन चंद सेकेंड में मजदूरों की चमड़ियां गलने लगीं. गले से आवाज निकल नहीं पा रही थी. ना कोई अंदर जा सका और ना कोई बाहर आ सका. झुलसे मजदूर तड़पते हुए घिसट घिसट कर बाहर निकल रहे थे. ऊंचाहार के एनटीपीसी प्लांट में हुआ धमाका कितना खतरनाक था, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगता है कि करीब चार किलोमीटर दूर तक धमाके की गूंज सुनाई दी. धमाके का धुआं करीब 35 मीटर तक ऊंचा उठा था.
बड़ी लापरवाही का खतरनाक नतीजा
जिस बॉयलर में धमाका हुआ, वो जमीन से करीब 20 मीटर की ऊंचाई पर था. यानी कोयला, राख, खौलता पानी और भाप, चारों मजदूरों पर गिरे. घायलों में मजदूरों के साथ-साथ NTPC प्लांट के 3 असिस्टेंट जनरल मैनेजर भी शामिल हैं. फिलहाल NTPC प्रबंधन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन इतना तो तय है कि ये हादसा खुद से नहीं बल्कि किसी बड़ी लापरवाही का खतरनाक नतीजा है.
बॉयलर ऐसे करता है काम
बॉयलर एक टैंकनुमा होता है, जिसमें तेजी से पानी को घुमाया जाता है. इस दौरान पानी को अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता है. जिससे भाप पैदा होती है. इसी भाप ने प्लांट में काम कर रहे मज़दूरों की चमड़ी को बुरी तरह झुलसा दिया. साथ में अंगारे जैसी वो राख भी घातक बन गई, जो बॉयलर से निकल नहीं पाई थी.
राजनेताओं का लगने लगा जमावड़ा
हादसे के फौरन बाद आज राहुल गांधी अपना गुजरात दौरा छोड़कर सूरत से सीधे रायबरेली पहुंचे. रायबरेली उनकी मां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है. इस बीच केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्री आरके सिंह भी ऊंचाहार पहुंचे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय मॉरीशस में हैं. उन्होंने घटना की पूरी जानकारी ली. उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर गहरा दुख जताया.