भारत और रूस ने असैन्य परमाणु क्षेत्र में व्यापक सहयोग के एक समझौते पर सोमवार को दस्तखत किए जो भारत के परमाणु संयंत्रों के लिए तकनीक हस्तांतरण और यूरेनियम ईंधन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. दोनों देशों ने इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में तीन समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने यहां क्रेमलिन में बातचीत के बाद इन समझौतों पर दस्तखत किए. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान से उपजते आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर विचार विमर्श किया. रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि आज हमने एक समझौते पर दस्तखत किए जिसने परमाणु संयंत्रों के लिए आपूर्ति से परे शोध, विकास और परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी क्षेत्रों में हमारे सहयोग को व्यापक कर दिया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच मौजूदा परमाणु सहयोग और प्रगाढ़ होगा जिसके तहत रूस तमिलनाडु के कुडनकुलम में चार नए परमाणु संयंत्र स्थापित करेगा और पांचवे संयंत्र के लिए पश्चिम बंगाल में जगह की पहचान की गई है. नये असैन्य परमाणु करार से रूस भारत को निर्बाध रूप से यूरेनियम ईंधन मुहैया कराएगा और यहां तक कि किसी वजह से इस क्षेत्र में द्विपक्षीय समझौते खत्म होने पर भी परमाणु ईंधन की आपूर्ति बाधित नहीं होगी. अधिकारियों का कहना है कि भारत-रूस के बीच परमाणु सहयोग पर यह समझौता एक अहम दस्तावेज है और भारत-अमेरिकाके बीच 123 समझौते से दो कदम आगे है.
मेदवेदेव ने कहा कि परमाणु करार से कुडनकुलम से परे व्यापक सहयोग के रास्ते खुले हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग का भविष्य बहुत उम्दा है. हम आपसी सहयोग से संतुष्ट हैं और मैं आशा करता हूं कि आज हुए समझौते से आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में व्यापक सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा. संवर्धन और पुन:प्रसंस्करण के प्रावधानों के बारे में पूछे जाने पर मेदवेदेव ने कहा कि हमारे लिए कोई परिवर्तन नहीं है. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जुलाई में जी-8 प्रस्ताव में रूस और सात अन्य देशों ने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह ऐसी किसी तकनीकी हस्तांतरण से दूर रहेंगे.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि परमाणु सहयोग पर यह समझौता आगे बढ़ने की दिशा में एक प्रमुख कदम है और दोनों नेता परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में इस समझौते से संतुष्ट हैं. दोनों पक्षों ने अपने दीर्घावधि सैन्य सहयोग कार्यक्रम को अगले दस वर्ष की अवधि के लिए वर्ष 2020 तक बढ़ाने के लिए भी समझौतों पर दस्तखत किए.