scorecardresearch
 

लोक‍सभा में परमाणु दायित्‍व बिल हुआ पास

भारत के परमाणु भेदभाव को समाप्त करने का रास्ता तैयार करने वाले बहुचर्चित परमाणु दायित्व विधेयक को लोकसभा ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी. निचले सदन ने इस विधेयक पर हुए मत विभाजन में विपक्ष के सभी संशोधनों को खारिज करते हुए और सरकारी संशोधनों को स्वीकार कर ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी दे दी.

Advertisement
X

भारत के परमाणु भेदभाव को समाप्त करने का रास्ता तैयार करने वाले बहुचर्चित परमाणु दायित्व विधेयक को लोकसभा ने बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी. निचले सदन ने इस विधेयक पर हुए मत विभाजन में विपक्ष के सभी संशोधनों को खारिज करते हुए और सरकारी संशोधनों को स्वीकार कर ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी दे दी.

Advertisement

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘यह विधेयक भारत के खिलाफ दशकों से चले आ रहे परमाणु भेदभाव की यात्रा को समाप्त कर देगा.’ उन्होंने इन आरोपों को आज सिरे से खारिज कर दिया कि ऐसा अमेरिका या उसकी कंपनियों के हितों को साधने के लिए किया गया है. ‘यह कहना एकदम गलत है कि इस विधेयक के जरिए भारत के हितों से समझौता किया गया है.’

विधेयक को लेकर कई दिन चले विवाद और गतिरोध के बाद सरकार ने इसे लेकर विपक्षी दलों की आपत्तियों के आलोक में विधेयक को नये संशोधन पेश किये और मुख्य विपक्षी दल भाजपा सहित विभिन्न दलों को भरोसे में लिया, जिसके बाद यह विधेयक पारित हो गया. {mospagebreak}

सिंह ने 1992 में कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री के रूप में पेश किए गए अपने बजट का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय भी कुछ अपवाद को छोड़कर विपक्षी नेताओं ने उन पर यह कह कर महाभियोग चलाने तक की बात की थी कि उनके द्वारा बनाया गया वह बजट अमेरिका में तैयार किया गया था. उन्होंने कहा कि सदन में मौजूद राजग के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी इस बात के गवाह रहे हैं.

Advertisement

उन्हें ये बात याद होगी. सिंह ने कहा, इस समझौते की प्रक्रिया 1999 से शुरू हुई. मैंने तब के कागजात देखे हैं. हमारे सभी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का मानना था कि भारत के खिलाफ चल रहे परमाणु भेदभाव को समाप्त करने की जरूरत है.’ विधेयक की जोरदार वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने परमाणु ऊर्जा को व्यवहारिक विकल्प बताते हुए कहा कि इस विधेयक के द्वारा भारत विश्व के साथ परमाणु वाणिज्य के अपने विकल्पों का और विस्तार करेगा.

परमाणु की बजाय ताप एवं पन बिजली के विकल्पों को अपनाने की दलील पर उन्होंने कहा कि सभी अध्ययनों से पता चलता है कि इस विकल्प की सीमाएं हैं और ऐसे में परमाणु ऊर्जा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. परमाणु दुर्घटनाओं के संदर्भ में सदस्यों की आशंकाओं पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में एक भी परमाणु दुर्घटना नहीं हुई है और इसका पूरा श्रेय हमारे वैज्ञानिकों को जाता है. {mospagebreak}

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मैं यह आश्वासन देता हूं कि परमाणु सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को और मजबूत बनाया जाएगा तथा इसे परमाणु सुरक्षा बोर्ड के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे. परमाणु प्रौद्योगिकी के महंगी होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हो रहा है और भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, किसी को नहीं पता. लेकिन हम भारत के विकास के लिए सभी विकल्पों के रास्ते खोलना चाहते हैं.

Advertisement

मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारी सरकार भविष्य के सभी विकल्पों को देश के विकास के लिए खोलना चाहती है. विधेयक के मूल स्वरूप में 17 (बी) उपबंध में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया था जिसकी भाजपा और वाम दलों ने कड़ी आलोचना की थी. इसमें दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे का दावा करने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता के इरादे को साबित करने की बात कही गई थी. {mospagebreak}

सरकार ने मूल विधेयक में नया संशोधन पेश करते हुए कहा कि अब 17 (बी) उपबंध में इरादतन’ शब्द नहीं है और इसके स्थान पर आपूर्तिकर्ता या उसके कर्मचारियों के कार्य के मद्देनजर परमाणु दुर्घटना जो घटिया या त्रुटिपूर्ण उपकरण, सामग्री या सेवा के कारण हुई हो’ को रखा गया है. मूल विधेयक में सरकारी की ओर से पेश नये संशोधनों से मेल खाते संशोधन भाजपा और वाम दलों के नेताओं ने भी पेश किये लेकिन उनके संशोधनों को नामंजूर किया गया और सरकारी संशोधनों को स्वीकार किया गया.

बाद में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि 2005 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान इस समस्या के निदान के लिए एक करार करने की रूपरेखा बनी लेकिन इस दिशा में परमाणु दायित्व कानून न न होने से एक कमी आ रही थी क्योंकि परमाणु ऊर्जा उत्पादन करने वाले 30 देशों में से 28 में ऐसा कानून है. केवल भारत और पाकिस्तान में ऐसा कोई कानून नहीं है. {mospagebreak}

Advertisement

उन्होंने कहा हमने विधेयक तैयार करने में सभी विपक्षी दलों, विशेषज्ञों एवं सभी पक्षों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया है और इस दिशा में मूल विधेयक में 18 संशोधनों के बाद आज इसे पेश किया गया है जिसमें भाजपा, वाम दलों और सपा जैसे दलों के सुझावों को शामिल किया गया है.’ चव्हाण ने कहा वाम दलों को अभी भी कुछ चिंताएं हैं लेकिन मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि यह किसी भी देश की मदद के लिए नहीं है. हम बड़े देश हैं और हमें अपनी जरूरतों को समझना होगा. यह जरूरत बिजली की समस्या को दूर करने की है.’

मंत्री ने कहा कि विधेयक के संशोधित स्वरूप के माध्यम से किसी भी दुर्घटना की स्थिति में तीसरे पक्ष (पीड़ित) को पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान है जिसमें अभाव में भोपाल गैस त्रासदी के मामले में सरकार को कदम उठाना पड़ा और पीड़ितों को परेशानी हुई. उन्होंने कहा इस विधेयक में आपूर्तिकर्ताओं, उपभोक्ताओं, सरकार, डिजाइनर आदि सभी पक्षों की जवाबदेही तय की गई है.

परमाणु दुर्घटना की स्थिति में अधिकतम मुआवजे की राशि को पूर्व के 500 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रूपये कर दिया गया है जो ऐसे मामलों में अमेरिका में दिये जा रही मुआवजा राशि के समान है.’ चव्हाण ने कहा कि पोखरण में पहले परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों की ओर से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लगायी गई पाबंदी को समाप्त करने का हमारा प्रयास इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए है. {mospagebreak}

Advertisement

उन्होंने कहा हमने सम्पूर्ण ईंधन चक्र, रिएक्टर का डिजाइन तैयार करने, बिजली पैदा करने और कचरे के पुनर्चक्रन में विशेषज्ञता हासिल कर ली है लेकिन कुछ प्रौद्योगिकी हमारे पास अभी भी उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि हम अगले वर्ष तक अपना पहला फास्ट ब्रीडर रिएक्टर स्थापित कर लेंगे और तीसरे चरण में थोरियम का उपयोग करने की प्रौद्योगिकी हासिल कर लेंगे जिसका दुनिया में दूसरा सबसे बढ़ा भंडार भारत में है.’

इससे पहले भाजपा के जसवंत सिंह ने कहा सरकार जिस जल्दबाजी में यह विधेयक लाई है उससे सरकार की मंशा पर शक पैदा होता है. यह कह कर मैं किसी की छवि को खराब करने का प्रयास नहीं कर रहा हूं लेकिन इससे ऐसा संदेश जा रहा है कि नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दबाव के कारण किया जा रहा है.’

जनता दल यू के शरद यादव ने आरोप लगाया कि सरकार ने विधेयक लाने में जो जल्दबाजी दिखायी है वह आने वाले समय में देश को बहुत महंगी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को पारित कराने का एक रास्ता निकाल चुकी है और उनकी विरोध करने की हैसियत नहीं है, इसलिए वह इस पर अधिक कुछ नहीं बोलना चाहते. मार्क्‍सवादी बासुदेव आचार्य ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में मुआवजा राशि पर कोई सीमा नहीं है और भारत के संबंध में भी ऐसा ही होना चाहिए.

Advertisement
Advertisement