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आतंकवाद ने देश के इन राज्यों में घटाई पर्यटकों की तादाद

मेघालय में 8,664 के मुकाबले 8,027 विदेशी सैलानी आए, तो सिक्किम में 49,175 के मुकाबले सिर्फ 38,479 यानी सैर सपाटे पर आतंकवाद या अस्थिरता का असर साफ दिखाई पड़ता है.

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घटी पर्यटकों की तादाद
घटी पर्यटकों की तादाद

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देश में आतंकवाद प्रभावित राज्यों में सैलानियों की तादाद घटी है यानी आतंकवाद का असर आम निवासियों के साथ ही सैलानियों पर भी पड़ा है. संसद को बताए गए आंकड़ों के मुताबिक बाकी राज्यों में 2014 के मुकाबले 2015 में पर्यटक बढ़े, लेकिन आतंकवाद प्रभावित राज्यों में जैसे जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, मिजोरम में पर्यटकों की तादाद निराशाजनक रही है.

धरती के स्वर्ग में नहीं आना चाहते सैलानी
पर्यटन विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा के मुताबिक आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जम्मू-कश्मीर में 2014 में घरेलू पर्यटकों की तादाद 94,38,544 थी, तो 2015 में ये घटकर 91,45,016 रह गई. वहीं विदेशी सैलानियों के लिए धरती का स्वर्ग कश्मीर का आकर्षण 86,477 के मुकाबले 58,568 तक घट गया.

विदेशी पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं
छत्तीसगढ़ में भी घरेलू पर्यटक 2 करोड़ 45 लाख से करीब आधा होकर एक करोड़ 84 लाख के आसपास आ गए. विदेशी सैलानी भी 7,777 से घटकर 6,394 तक रह गए. उत्तर पूर्वी राज्यों में घरेलू पर्यटन बढ़ाने के लिए एलटीए और विदेशी पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं और आकर्षण बढ़ाने के बावजूद मिजोरम में 2014 में 921 पर्यटकों के मुकाबले 2015 में सिर्फ 798 सैलानी ही आए.

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मेघालय और सिक्किम में बढ़ा घरेलू पर्यटन
मेघालय और सिक्किम में घरेलू पर्यटन तो बढ़ा, लेकिन विदेशियों को लुभाने में कामयाबी हाथ नहीं लगी. मेघालय में 8,664 के मुकाबले 8,027 विदेशी सैलानी आए, तो सिक्किम में 49,175 के मुकाबले सिर्फ 38,479 यानी सैर सपाटे पर आतंकवाद या अस्थिरता का असर साफ दिखाई पड़ता है. ये अलगाववादियों के लिए भी खतरे की घंटी है. जब सैलानी ही नहीं आएंगे, तो भविष्य किसका, कैसा और क्या होगा?

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