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सांप्रदायिक सद्भाव के मसले पर नसीहत दे गए ओबामा, बोले-'धर्म के आधार पर न बंटे भारत तो करेगा तरक्की'

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंगलवार को सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में भारत के लिए खूब कसीदे पढ़े. लेकिन भारत में धार्मिक सद्भाव के मुद्दे पर भी उन्होंने संकेतों में नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि भारत अगर धार्मिक आधार पर न बंटे, तो वह कामयाब होता रहेगा.

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Barack Obama
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अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंगलवार को सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में भारत के लिए खूब कसीदे पढ़े. लेकिन भारत में धार्मिक सद्भाव के मुद्दे पर भी उन्होंने संकेतों में नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि भारत अगर धार्मिक आधार पर न बंटे, तो वह कामयाब होता रहेगा.

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ओबामा के भाषण की 20 खास बातें

भारत और अमेरिका की विविधता का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा, 'भारत और अमेरिका में हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, यहूदी, बौद्ध और जैन रहते हैं. हर व्यक्ति बिना किसी उत्पीड़न, डर या भेदभाव के अपनी आस्था का अभ्यास करने के लिए स्वतंत्र है. भारत सफल होता रहेगा, जब तक वह धार्मिक श्रद्धा के आधार पर न बंटे.'

उन्होंने बिना किसी भेदभाव के नागरिकों की अस्मिता की रक्षा की नसीहत भी दी. भारतीय युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरी जिंदगी में कई बार मेरी त्वचा के रंग की वजह से मुझसे भेदभाव किया गया.' अपने मुसलमान होने की अफवाह का संकेत देते हुए उन्होंने कहा, 'कई बार मेरी आस्था पर उन लोगों ने सवाल खड़े किए हैं, जो मुझे जानते ही नहीं. उन्होंने कहा कि मैं किसी और धर्म से संबंध रखता हूं, जैसे कि यह (उस धर्म से संबंध रखना) कोई बुरी चीज हो.'

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ओबामा का यह बयान नरेंद्र मोदी सरकार के लिए भी एक संदेश हो सकता है. हाल के कुछ दिनों में बीजेपी और संघ परिवार घरवापसी और लव जिहाद जैसे धार्मिक मुद्दों को चर्चा के केंद्र में लाता रहा है. जानकारों का मानना है कि ये हिंदुत्ववादी एजेंडे प्रकट तौर पर मोदी के विकास के एजेंडे को ही हाशिये पर धकेल रहे हैं. याद रहे कि गुजरात दंगों के तीन साल बाद 2005 में अमेरिका ने उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने से मना कर दिया था.

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