महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग को अपने ‘नायकों’ के रूप में स्मरण करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वर्ष 2009 का नोबेल शांति पुरस्कार गुरुवार को ग्रहण किया.
ओबामा ने शांतिपूर्ण विश्व की कल्पना को साकार करने की प्रतिज्ञा की जहां ‘‘युद्ध कभी-कभी जरूरी हो जाता है. नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण करने के बाद ओबामा ने अपने भाषण में कहा कि मैं जानता हूं कि गांधी और किंग के मत एवं जीवन में कुछ कमजोर नहीं है, कुछ निष्क्रिय नहीं है.
उन्होंने कहा कि लेकिन एक राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते मैंने अपने राष्ट्र को सुरक्षा प्रदान करने की शपथ ली है. मैं केवल उनके गांधी और किंग मार्गदर्शन पर नहीं चल सकता. मैं दुनिया का सामना भी करता हूं क्योंकि अमेरिकी नागरिकों पर खतरे की स्थिति में मैं अकर्मण्य नहीं रह सकता. ओबामा ने कहा कि कई लोग महसूस करते हैं कि नोबेल शांति पुरस्कार पाने के लिहाज से उन्होंने पर्याप्त काम नहीं किया, जिसे उन्होंने ओस्लो में ग्रहण किया है.
ओबामा ने इस बात का उल्लेख भी किया कि उन्होंने अफगानिस्तान में लड़ने के लिए हाल ही में तीस हजार और सैनिक भेजने का आदेश दिया है. नब्बे वर्ष के इतिहास में बराक ओबामा अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं जिन्हें राष्ट्रपति पद पर रहते हुए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है.
इसके अलावा रोमानिया में जन्मी लेखिका हर्ता मुलर को अपने निजी अनुभवों पर लिखी किताब ‘लाइफ बिहाइंड द आयरन कर्टेन’ के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मुलर की मां को साम्यवादी देश में पांच साल बिताने पड़े थे और मुखबिर बनने से इंकार करने के चलते लेखिका को खुद भी सिक्योरिटेट गुप्तचर पुलिस ने प्रताड़ित किया था.
स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य और अर्थ के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया जाता है. वहीं शांति के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा यह पुरस्कार ओस्लो, नार्वे में प्राप्त किया.