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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी क्रीमी लेयर पर किचकिच

बीजेपी के ओबीसी सांसद क्रीमी लेयर कैटेगरी की कुल वार्षिक आय में वेतन और कृषि आय जोड़ने का विरोध कर रहे हैं. दरअसल, अभी तक सरकारी कर्मचारियों की ग्रेड के आधार पर ही क्रीमी लेयर को परिभाषित किया जाता है.

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मोदी कैबिनेट ले सकती है फैसला
मोदी कैबिनेट ले सकती है फैसला

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अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की क्रीमी लेयर कैटेगरी के प्रावधानों में संशोधन की संभावनाओं पर किचकिच नजर आ रही है. केंद्र सरकार क्रीमी लेयर के नियमों में परिवर्तन करने पर विचार कर रही है लेकिन बीजेपी के ओबीसी सांसद ही इससे सहमत नजर नहीं आ रहे हैं.

बीजेपी के ओबीसी सांसद क्रीमी लेयर कैटेगरी की कुल वार्षिक आय में वेतन और कृषि आय जोड़ने का विरोध कर रहे हैं. दरअसल, अभी तक सरकारी कर्मचारियों की ग्रेड के आधार पर ही क्रीमी लेयर को परिभाषित किया जाता है. लेकिन सरकार अब इसमें वेतन और कृषि आय भी जोड़ने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो निश्चित ही बड़ी संख्या में ओबीसी के लोग नॉन क्रीमी लेयर कैटेगरी से बाहर हो जाएंगे और उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा.

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दूसरी तरफ सरकार क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर रही है. माना जा रहा है कि क्रीमी लेयर की मौजूदा सीमा 8 लाख को बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक सालाना किया जा सकता है.

वहीं, ओबासी मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष गणेश सिंह ने बीजेपी के सभी 112 ओबीसी सांसदों को पत्र लिख कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का इस ओर ध्यान दिलाने को कहा है. वहीं, सरकार के सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही इस बारे में कैबिनेट फैसला कर सकती है.

बता दें ओबीसी कैटेगरी में होने के बावजूद जो लोग क्रीमी लेयर में आते हैं, उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. ऐसे में माना जा रहा है कि मौजूदा नियमों में बदलाव से ओबीसी आरक्षण व्यवस्था पर असर पड़ सकता है. बिहार चुनाव के मद्देनजर इस दिशा में लिया जाने वाला कोई फैसला काफी अहम रहेगा, क्योंकि राज्य में ओबीसी की बड़ी आबादी है.

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