ओडिशा में अब विशेष अवसरों को छोड़कर मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को 'गार्ड ऑफ ऑनर' नहीं दिया जाएगा. ओडिशा सरकार ने गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और उत्कल दिवस (ओडिशा दिवस) जैसे विशेष अवसरों को छोड़कर मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देने की परंपरा को खत्म कर दिया है.
हालांकि भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, लोकायुक्त, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मुख्य जजों के अलावा दोनों कोर्ट के अन्य जजों के लिए औपचारिक स्वागत की परंपरा जारी रहेगी.
Odisha Government abolishes the practice of according 'Guard of Honour' to Chief Minister, Ministers & other govt officials, except on special occasions like Republic Day, Independence Day & Utkal Dibasa (Odisha Day). pic.twitter.com/hP8vgWpjWx
— ANI (@ANI) August 14, 2019
भारत में गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा आजादी से चली आ रही है. विशेष अतिथियों, खासकर विदेशी नेताओं के सम्मान में भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. ब्रिटिश आर्मी के समय परेड के दौरान सैन्य अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा थी. वहीं भारत ने आजादी के बाद जन प्रतिनिधियों को भी गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित करने की परंपरा अपनाई.
बता दें ओडिशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी सरकार ने गार्ड ऑफ ऑनर पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई है. राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, राज्यपाल, लोकायुक्त जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को यह सम्मान दिया जाएगा.