ओडिशा में बीते पांच वर्षों में वन्यजीवों के हमलों में 799 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,962 लोग घायल हुए हैं. यह जानकारी राज्य विधानसभा में वन एवं पर्यावरण मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने दी.
मंत्री ने बताया कि 2020-21 से 2024-25 (अब तक) के दौरान राज्य में 2,832 हाथी, बाघ और अन्य वन्यजीवों की मौत हुई, जिनमें से 806 को शिकारियों ने मार दिया.
वन्यजीवों के शिकार के आरोप में 4,043 लोग गिरफ्तार
वन्यजीवों के अवैध शिकार के आरोप में ओडिशा में बीते पांच वर्षों में 4,043 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 318 वन्यजीवों की मौत ढेंकानाल वन प्रभाग में हुई, जो राज्य में सबसे अधिक है.
इसके बाद अठागढ़ (197), अंगुल (151), क्योंझर (129), बालासोर (117), नयागढ़ (113), चिल्का (103) और क्योंझर (102) वन प्रभागों में भी वन्यजीवों की मौतें दर्ज की गईं.
ढेंकानाल में सबसे ज्यादा शिकार की घटनाएं
806 वन्यजीवों की शिकारियों द्वारा हत्या के मामलों में सबसे अधिक 75 मामले ढेंकानाल वन प्रभाग में दर्ज किए गए. इसके बाद नयागढ़ (63), अथामल्लिक (55) और सिमलीपाल साउथ (55) वन्यजीव प्रभागों में भी शिकार की घटनाएं सामने आईं. अन्य वन प्रभागों में अठागढ़ (50), बौध (31), रेडखोल (29), क्योंझर (29), कटक (27), राजनगर (27) और सतकोसिया (26) शामिल हैं.
ढेंकानाल में सबसे अधिक मानव हत्याएं
वन्यजीवों के हमलों में हुई कुल 799 मौतों में से सबसे अधिक 147 लोगों की जान ढेंकानाल वन प्रभाग में गई. वहीं, अंगुल में 76, क्योंझर में 69, बारिपदा में 54 और राउरकेला वन प्रभाग में 47 लोगों की मौत हुई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा में वन्यजीवों के हमलों में मरने वालों के परिजनों को सरकार की ओर से 6 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है.