scorecardresearch
 

तेल का खेल: अमित मालवीय का केजरीवाल और ममता को लेकर किया दावा है गलत

विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्षों तक सस्ते कच्चे तेल की कीमतों का फायदा लोगों तक नहीं पहुंचाया और इसी दौलत से सरकारी खजाना भर लिया. उधर, बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि तेल जब भी मंहगा होता है तो सबसे ज्यादा कमाई केन्द्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारें करती हैं.

Advertisement
X
ममता बनर्जी-अमित मालवीय-अरविंद केजरीवाल
ममता बनर्जी-अमित मालवीय-अरविंद केजरीवाल

Advertisement

तेल की कीमतों में आजकल जितनी आग लगी हुई है, सोशल मीडिया पर उतनी ही गर्मा-गर्मी इस बात को लेकर चल रही है कि तेल के खेल से कौन मालामाल हो रहा है. विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्षों तक सस्ते कच्चे तेल की कीमतों का फायदा लोगों तक नहीं पहुंचाया और इसी दौलत से सरकारी खजाना भर लिया. उधर, बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि तेल जब भी महंगा होता है तो सबसे ज्यादा कमाई केन्द्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारें करती हैं.

मंगलवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 76.87 रूपये प्रति लीटर पहुंच गयी. इस पर मचे कोहराम के बीच बीजेपी आई टी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट करके  दावा किया कि 'जब भी तेल की कीमतें बढ़ती हैं अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की राज्य सरकारें सबसे ज्यादा कमाई करती हैं. मोदी सरकार को कुछ नहीं मिलता.'

Advertisement

देखते ही देखते हजारों लोगों ने इसे रीट्वीट और लाइक कर दिया. हमने इस बात का पता लगाया कि अमित मालवीय के इस दावे में कितनी सच्चाई है.

पेट्रोल पम्प पर तेल आपको किस कीमत पर मिलेगा ये कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत के अलावा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि केन्द्र और राज्य सरकारें उसपर कितना टैक्स वसूल रही हैं. टैक्स को अगर पूरी तरह से हटा दिया जाए तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत लगभग आधी रह जाएगीं.

टैक्स वसूली का सिस्टम

केन्द्र सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो राज्य सरकारें वैट और सेल्स टैक्स वसूलती हैं. ध्यान देने की बात ये है केन्द्र सरकार द्वारा लगाई जाने वाली एक्साइज ड्यूटी का सीधे तौर पर कच्चे तेल की कीमत से कोई लेना-देना नहीं है और ये तभी बदलता है जब केन्द्र सरकार खुद इसमें बदवाल करे.

इस वक्त पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 19.48 रूपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रूपए प्रति लीटर है. इसमें आखिरी बार बदलाव 4 अक्टूबर 2017 को किया गया था.

लेकिन राज्यों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर वसूला जाने वाले वैट और सेल्स टैक्स का फॉर्मूला ऐसा है कि जितनी ज्यादा कीमत बढ़ेंगी, राज्य सरकार का टैक्स भी खुद-ब-खुद बढ़ता जाएगा. यानी तेल जितना मंहगा बिकेगा, राज्यों की कमाई उतनी ही ज्यादा बढ़ती जाएगी. लेकिन क्या सचमुच तेल से सबसे ज्यादा कमाई केजरीवाल और ममता बनर्जी सरकार कर रहे हैं जैसा कि अमित मालवीय ने दावा किया? सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयान करते हैं.

Advertisement

पेट्रोलियम मंत्रायल से अधीन आने वाले Petroleum Planning & Analysis Cell (पीपीएसी) के मुताबिक पेट्रोल पर पर सबसे ज्यादा टैक्स बीजेपी शासित महाराष्ट्र सरकार वसूलती है जहां इस पर 38.76 प्रतिशत  वैट लगता है. मुम्बई में तो इससे भी ज्यादा वैट लगता है.

22 मई को पेट्रोल की कीमतों के हिसाब से प्रति लीटर पेट्रोल पर महाराष्ट्र सरकार करीब 24 रूपए, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश करीब 22 रूपए, पंजाब करीब 21 रूपए, तेंलगाना करीब 20 रूपए प्रति लीटर की कमाई टैक्स वसूली के जरिए कर रहे हैं.

कमाई के मामले में दिल्ली काफी पीछे

पेट्रोल पर टैक्स से कमाई करने के मामले में पश्चिम बंगाल 11वें और दिल्ली 15वें स्थान पर है. केन्द्र सरकार को किसी भी जगह पेट्रोल की बिक्री से प्रति लीटर 19.48 रूपए की कमाई ही होती है.

अब सवाल ये उठता है कि क्या सचमुच मोदी सरकार तेल की कमाई के मामले में राज्यों से इतनी पीछे है कि उसे कुछ खास नहीं मिलता? लोकसभा में 27 मार्च 2017 को खुद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा दिए गए जवाब से ये खुलासा होता है कि सच्चाई ठीक इसके उलट है.

केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले 1 अप्रैल 2014 को सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर प्रति लीटर 9.48 रूपए और डीजल पर 3.56 रूपए थी. मोदी सरकार ने आते ही इसमें ताबड़तोड़ बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी. दो साल के भीतर ही मार्च 2016 तक पेट्रोल पर एक्साइज 126 प्रतिशत यानी 9.48 रूपए से बढ़कर 21.48 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गया. डीजल में एक्साइज ड्यूटी तो और भी जबरदस्त तरीके से बढी़. दो साल के भीतर मार्च 2016 तक, डीजल पर एक्साइज 386 प्रतिशत, यानी करीब चार गुना बढ़कर, 17.33 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गया.

Advertisement

पीपीएसी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2017 के बीच में तेल पर टैक्स से राज्यों की आमदनी 21 प्रतिशत बढ़ी. लेकिन इसी दौरान केन्द्र सरकार ने एक्साइड ड्यूटी बढ़ाकर तेल से अपनी कमाई 144 प्रतिशत बढ़ा ली. इसलिए ये बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि तेल पर टैक्स से मोदी सरकार को कुछ नहीं मिल रहा है. साथ ही पश्चिम बंगाल और दिल्ली की सबसे ज्यादा कमाई को लेकर किया गया दावा भी गलत साबित हुआ है.

Advertisement
Advertisement