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कश्‍मीर हिंसा पर बोले उमर, जीत जाएंगे हम

कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे से ऐन पहले राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने इस्तीफे की सम्भावना से इनकार करते हुए उम्मीद जताई कि विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति कानून (एएफएसपीए) को जल्द ही पूरे राज्य से हटा लिया जाएगा लेकिन इसके लिये अवाम को शांतिपूर्ण माहौल पैदा करना होगा.

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कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे से ऐन पहले राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने इस्तीफे की सम्भावना से इनकार करते हुए उम्मीद जताई कि विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति कानून (एएफएसपीए) को जल्द ही पूरे राज्य से हटा लिया जाएगा लेकिन इसके लिये अवाम को शांतिपूर्ण माहौल पैदा करना होगा.

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उमर ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा गम्भीरता दिखाते हुए एएफएसपीए का हटाया जाना कश्मीर की जनता में विश्वास के निर्माण की दिशा में उठाया जाने वाला पहला कदम होगा. इससे भविष्य में समस्या को सुलझाने के लिये अन्य कदम उठाए जा सकेंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं परेशानियों से डरकर पीठ दिखाने वाला शख्स नहीं हूं. मैं एक जंगजू हूं और मुझे चुनकर सत्ता सौंपने वाले लोगों पर आए संकट को खत्म करना होगा. इंशाअल्ला हम कामयाब होंगे.’

प्र. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर आने वाला है. आपकी क्या उम्मीदें हैं और आपका उन लोगों के प्रति क्या नजरिया है जो जोर देकर कह रहे हैं कि राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिये आपको पद छोड़ देना चाहिये.

उ. मैं परेशानियों की तरफ पीठ दिखाने वालों में से नहीं हूं. मैं एक जुझारू व्यक्ति हूं और मुझे चुनकर सत्ता सौंपने वाले लोगों पर आए संकट को खत्म करना होगा. इंशाअल्ला हम कामयाब होंगे.

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सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कल यहां पहुंच रहा है और मुख्यमंत्री होने के नाते मैं सरकार की ओर से विश्वास दिला सकता हूं कि मौजूदा संकट का समाधान निकालने के प्रति गम्भीर सभी लोगों को प्रतिनिधिमंडल से बातचीत का मौका दिया जाएगा. मैं बातचीत के लिये आमंत्रित सभी लोगों से गुजारिश करता हूं कि वे प्रतिनिधिमंडल के सामने अपनी बात रखने के मौके का इस्तेमाल जरूर करें.

मुझे उम्मीद है कि वे हर वर्ग के लोगों चाहे वे मुख्यधारा के हों या अलगाववादी संगठन हों, से मिलेंगे. मैं आमंत्रित लोगों के अलावा प्रतिनिधिमंडल से मिलने के इच्छुक लोगों से अपील करता हूं कि वे इसके लिये सम्बन्धित जिला प्रशासन से सम्पर्क करें.{mospagebreak}

प्र. आजादी की आवाज की किस रूप में व्याख्या की जाती है? अनेक प्रेक्षकों का मानना है कि स्थिति उस बिंदु पर पहुंच चुकी है जहां से लौटने का रास्ता नहीं है. राजनीतिक समाधान तथा गुस्से को शांत कैसे किया जाता है?

उ. मैं नहीं मानता कि हालात उस स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां से वापस नहीं लौटा जा सकता. हमें यह समस्या विरासत में मिली है और विश्वास निर्माण के लिये कदम उठाए जा रहे हैं और उठाए जाएंगे. कश्मीर को आगे ले जाना मेरा मकसद है. यह मुश्किल घड़ी है लेकिन मेरी सरकार का मजबूत इरादा है कि सम्बन्धित सभी पक्षकारों की चिंताओं को हल किया जाए. मुझे विश्वास है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से राज्य तथा केन्द्र सरकार को आगे बढ़ने का रास्ता मिलेगा.

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प्र. एक सोच पैदा हो रही है कि अब्दुल्ला परिवार राजनीतिक शक्ति को हाथ से नहीं जाने देना चाहता?

उ. यह बेबुनियाद आरोप है. कश्मीर का इतिहास गवाह है कि अब्दुल्ला परिवार ने हमेशा प्रदेश की जनता के भले के लिये सत्ता और ऐशोआराम की कुर्बानी दी है. इस खानदान ने निजी हितों के लिये अवाम को कभी भ्रमित नहीं किया बल्कि हमेशा सच की आवाज बुलंद की, भले ही वह कड़वी क्यों न हो.

सच का साथ देने की वजह से अब्दुल्ला खानदान और नेशनल कांफ्रेंस को कई तकलीफें सहन करनी पड़ीं लेकिन उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिये कभी अपनी विचारधारा या जनता के हितों से समझौता नहीं किया.{mospagebreak}

प्र. प्रदेश में जून की शुरुआत से अब तक 100 मौतें हो चुकी हैं. क्या आप इससे चिंतित हैं?

उ. बेशक, मैं इन घटनाक्रमों से दुखी हूं और मैं जान का नुकसान नहीं होने देना चाहता. जून तक स्थिति सामान्य थी और हर व्यक्ति मेरी सरकार के कामकाज तथा गम्भीरता की तारीफ कर रहा था. आज हर शख्स गलतियां ढूंढने में लगा है. विरोध प्रदर्शन करवाने वाले लोगों को यह समझना होगा कि उन्हें युवाओं और बच्चों को अपनी ढाल नहीं बनाना चाहिये. युवाओं और बच्चों को आगजनी, सेना के काफिलों पर हमले करने, सार्वजनिक सम्पत्ति तथा सुरक्षा शिविरों को नुकसान पहुंचाने में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये. इससे उनका सुरक्षा बलों से टकराव होता है और मौतें होती हैं. किसी की मौत होने से हर व्यक्ति गमगीन होता है. मेरा दिल उनके लिये दुखता है जिन्होंने अपने परिजन को खोया है.

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