एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर की सरकार राज्य में सैनिक कॉलोनी बनाने के प्रस्ताव से इनकार कर रही है, दूसरी ओर विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने महबूबा सरकार के दावे पर पलटवार किया है. पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने राज्य के गृह विभाग के प्रस्ताव की कॉपी दिखाई जिसमें श्रीनगर में पूर्व सैनिकों के लिए सैनिक कॉलोनी स्थापित करने की बात कही गई है.
ऑर्डर की कॉपी को ट्वीट करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार ने 350 कॉलोनियां अलॉट करने का आदेश जारी किया है. उन्होंने कहा कि कॉलोनी बनाने के लिए जमीन तय करने को लेकर भी फैसला सीएम महबूबा मुफ्ती के अगुवाई वाली बैठक में हुआ है. ये बैठक जम्मू में 11 अप्रैल को हुई थी.
'धारा 370 को नजरअंदाज किया जा रहा है'
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया- 'होम डिपार्टमेंट ने संशोधित प्रस्ताव भेजा है.' होम डिपार्टमेंट खुद महूबूबा मुफ्ती के पास है. ऐसे में झूठ कौन बोल रहा है? उन्होंने ने कहा कि सैनिक कॉलोनी बनाने के सरकार के प्रस्ताव का सीधा मतलब धोखे से बाहरी लोगों को कश्मीर में बसाने की चाल है और धारा 370 को नजरअंदाज करना.
अलगाववादियों ने किया विरोध का ऐलान
अलगाववादी नेताओं ने भी घाटी में रिटायर्ड जवानों के लिए अलग (सैनिक) कॉलोनी बनाने को कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने की चाल और मुस्लिम बहुल राज्य की डेमीग्राफी में बदलाव बताया है. उन्होंने इसके विरोध का ऐलान किया है.
सरकार ने दी सफाई
इस मामले में राज्य सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने सैनिक कॉलोनी के नाम पर न कोई जमीन अलॉट की है और न ऐसा करने जा रही है. राज्य सरकार के प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, 'दूसरी वर्किंग क्लास की तरह राज्य से जुड़े पूर्व सैनिकों ने भी हाउसिंग कॉलोनी के लिए जमीन की मांग की थी, लेकिन घाटी में अब तक ऐसा कोई अलॉटमेंट नहीं किया गया है.' उन्होंने कहा कि सैनिक कॉलोनी की वजह से राज्य में शांति भंग होने की आशंका है, यह ऐसा वक्त है जब यहां टूरिज्म और बिजनेस एक्टिविटी बढ़ रही हैं.
उमर अब्दुल्ला की ओर से दिखाए गए प्रपोजल पर उन्होंने कहा कि एक संवेदनशील मुद्दे पर जानबूझकर ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है.