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PETA ने की बकरीद पर पशुओं की अवैध 'कुर्बानी' रोकने की मांग

पशुओं के हितों के लिए काम करने वाली संस्था PETA ने बकरीद के अवसर पर होने वाले जानवरों के अवैध तरीके से कुर्बानी को रोकने की मांग की है. पेटा ने कहा है कि पशुओं का वध सिर्फ लाइसेंस वाले बूचड़खाने में किया जा सकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-PTI)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-PTI)

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पशुओं के हितों के लिए काम करने वाली संस्था PETA ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर मांग की है कि बकरीद के अवसर पर होने वाले पशुओं की अवैध तरीके से कुर्बानी को रोका जाए. पेटा ने कहा है कि पशुओं का वध सिर्फ लाइसेंस वाले बूचड़खाने में ही होना चाहिए.

पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशक, और पशुधन विभाग सहित कई अन्य विभागों को लेटर लिखकर यह अनुरोध किया है कि बकरीद से पहले पशुओं के अवैध व्यापार और हत्याओं को रोकने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाएं.

पेटा ने एक बयान में कहा, 'राज्य सरकारों का यह कर्तव्य है कि देश के पशु संरक्षण कानूनों को लागू करें और इसका पालन कराएं. पेटा की यह मांग है कि सभी अथॉरिटी जानवरों के कटने पर रोक लगाएं.'  

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पेटा इंडिया ने कहा है कि गोश्त के लिए पशुओं की हत्या और उनकी कुर्बानी से संबंधित दो मामलों पर 17 फरवरी, 2017 और 10 अप्रैल 2017 के आदेश के द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पशुओं का वध केवल आधिकारिक लाइसेंस वाले बूचड़खाने में ही किया जा सकता है. इसलिए नगर निगमों को इस आदेश का पालन कराना ही होगा.'  

पेटा ने कहा कि जानवरों की हत्या और कुर्बानी 'पशुओं के प्रति कूरता नियम, 2001, खाद्य सुरक्षा एवं मानक रेगुलेशन, 2011 के भी खिलाफ है. खाद्य सुरक्षा एवं मानक रेगुलेशन, 2011 के मुताबिक गोश्त के लिए ऊंट की हत्या पर रोक है, जबकि बकरीद के दौरान इनकी भी कुर्बानी दिए जाने का चलन है.

पेटा ने लोगों से अनुरोध किया है कि धार्मिक समारोह के नाम पर जानवरों की हत्या न करें. पेटा ने कहा है कि त्योहार के दौरान पशुओं की ढुलाई में पशु परिवहन नियम, 1978 का भी उल्लंघन किया जाता है.

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