राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे को देखते हुए अमेरिका ने भले ही पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों को लेकर चेताया हो. लेकिन सरहद पार पल रहे आतंकी पाक हुकूमत की शह पर अंकल सैम की घुड़कियों से कहां डरने वाले हैं. भारत के लिए जो हाफिज सईद मोस्ट वांटेड आतंकी है, नवाज शरीफ के लिए वो आम शहरी. ऐसे में सवाल यही है कि ओबामा के दौरे के दौरान हाफिज सईद की पाकिस्तान में होने वाली संभावित रैलियों को शरीफ सरकार क्यों रोकेगी.
जानकारी के मुताबिक इंटरनेशनल आतंकी का दर्जा दिये जाने के बावजूद हाफिज सईद 26 जनवरी को कराची में भारत विरोधी रैली निकालेगा. अमेरिका के भारत के करीब आने के सिलसिले के बीच पिछले दिनों जमात उद दावा की बैठक को याद कीजिए. जिसमें भारत और अमेरिका के खिलाफ खुले तौर पर नारे लगाये गये और पाकिस्तान के हुक्मरान खामोश रहे.
ऐसे में ओबामा की यात्रा के ठीक पहले जो चेतावनी अमेरिका ने पाकिस्तान को यह कहकर दी है कि ओबामा की यात्रा के दौरान पाकिस्तान की जमीन से कोई आंतकी कार्रवाई नहीं होनी चाहिये, इसका मतलब क्या है. क्या अमेरिका पाकिस्तान को रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करता है या फिर पाकिस्तान आतंकी संगठनों के जरिए ही अपनी सौदेबाजी का दायरा बढ़ा रहा है.
ऐसी सूरत में 26 जनवरी के मद्देनजर ओबामा की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान की जमीन पर खुले तौर पर होने वाले आतंकी कार्रवाइयों को कौन रोकेगा. इसका असर अब भारत के सुरक्षा बंदोबस्त पर देखा जा रहा है. एलओसी पर अतिरिक्त सेना की तैनाती हो रही है. 192 किलोमीटर लंबी इंटरनेशनल सीमा पर बीएसएफ की 12 कंपनियां लगाई जा रही है.
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स कह रही हैं कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान और लश्कर के आतंकी उसी वक्त घुसपैठ की फिराक में हैं, जब ओबामा भारत में होंगे. यह पहली बार है जब खुफिया एजेंसियों को टीटीपी के आतंकियों के घुसपैठ की जानकारी मिली है. ये वही संगठन है, जिसने पेशावर के आर्मी स्कूल में खून की होली खेली थी.
असल में 26 जनवरी भारत और अमेरिका के लिये इसलिये महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक तरफ पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस पर मेहमान होगा. दूसरी तरफ पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिका से बाहर खुले आसमान तले दो घंटे तक किसी कार्यक्रम में मौजूद रहेगा. यानी सुरक्षा का सवाल सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान में भी होना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे ही अपने एयरफोर्स वन से भारत की सीमा में घुसेंगे, वैसे ही आसमान में सुरक्षा घेरा बनाकर सभी विमानों की आवाजाही रोकी जायेगी. इसके अलावा सात लेयर का सुरक्षा बंदोबस्त होगा, लेकिन पहली बार दो लेयर पर अमेरिकी सुरक्षा एंजेसियां तैनात होगी. इसके अलावा अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंटों के साथ आईबी के जासूसों की भी तैनाती होगी.