करीब 30 साल के इंतजार के बाद भारतीय वायुसेना में नया लड़ाकू विमान तेजस शामिल तो कर लिया गया मगर अभी तक इसे उड़ाने और रख-रखाव के बारे में किसी को भी नही पता. तेजस हिंदुस्तान को पब्लिक सेक्टर कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की देन है जिसने तेजस पिछले महीने भारतीय वायुसेना को सौंपा. तेजस का निर्माण MiG-21 और MiG-23 को रिप्लेस करने के लिए किया गया है.
पिछले कुछ समय में भारतीय वायुसेना के कई मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. हालांकि मिग-21 को लगभग 2017 में रिटायर होना है मगर तेजस विमान को बनाने में हो रही देरी की वजह से अब इसकी समय सीमा बढाकर 2025 कर दी गयी है.
अगर देखा जाए तो दूसरे देशों के पास भारत से ज्यादा आधुनिक तकनीक वाले लड़ाकू विमान है. तेजस अभी उन सब लड़ाकू विमानों से कई पीछे है जिनमे मुख्य तौर पर बीच रस्ते में ईंधन भरना और लम्बी दूरी तक मिसाइल ले जाना हैं. यहां तक की पायलट्स को भी अभी तक इन्हें चलाने के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं है जिसकी वजह से नए पायलट के लिए इसे उड़ाना काफी चुनौतीपूर्ण है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसके लिए एक महीने की डेडलाइन भी तय की है.
हालांकि साल 2011 में वायु सेनाध्यक्ष रहे एयर चीफ मार्शल पी वी नायक ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हम तब तक इस विमान को वायुसेना में शामिल नहीं करेंगे जब तक यह पूरी तरह से हमारे अनुकूल बनकर तैयार नहीं होता.
सरकार वायुसेना में 170 तेजस विमान लाना चाहती है जिस पर करीब 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होगा.
तेजस की कुछ खास बातें:
लंबाई - 13.2 मीटर
ऊंचाई - 4.4 मीटर
वजन - 12 टन
विंग फैलाव- 8.2 मीटर
स्पीड - 1350 kmph