घूसकांड पर हुई किरकिरी से रेल मंत्रालय अभी बाहर भी नहीं निकला है कि एक नया घोटाला सामने आ गया. हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे अखबार ने खुलासा किया है कि रेलवे यूनियन के नेता दिल्ली में सरकारी बंगलों और यूनियन के दफ्तरों का इस्तेमाल निजी तौर पर कर रहे हैं.
राजधानी दिल्ली के पॉश इलाकों में मौजूद मजदूर संघों के दफ्तर, कायदे से इन इमारतों में रेल यूनियन से जुड़े कामकाज होने चाहिए. ऐसा नहीं कि रेल यूनियन के दफ्तर के गलत इस्तेमाल का ये कोई इकलौता मामला है. ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन को ही लीजिये जिसके नेताओं ने बंगाली मार्किट से सटे बाबर लेन की बिल्डिंग में कई कमरों पर अपना अधिकार जमा लिया है. इनका इस्तेमाल ऑफिस के लिए नहीं बल्कि परिवार के लिये किया जा रहा है. लेकिन इस घपले पर एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा की सफाई सुनकर आप भी हैरान हो जायेंगे.
मेल टुडे के खुलासे के बाद आजतक संवाददाता ने यूनियन के नाम पर आवंटित हुए बंगलों और दफ्तरों का मुआयना किया तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. दिल्ली के पंचकुइया रोड, बाबर लेन, स्टेट एंट्री रोड और चेम्सफोर्ड रोड पर स्थित बंगलों और दफ्तरों में यूनियन के नेताओं ने कब्जा जमा रखा है.
ऐसे कुल 53 ठिकाने हैं जो इन नेताओं के कब्जे में हैं. सीबीआई ने आरपीएफ के नेता यू एस झा पर एक साथ 3 प्रॉपर्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाया तो झा ने मानहानि का दावा ठोंक दिया. इस खुलासे के बाद रेलवे ने झा के कब्जे वाले दो मकानों को वापस ले लिया. लेकिन यूनियन के नेता इन आरोपों को निजी साजिश बता रहे हैं. सरकारी मकान हड़पने का ये गोरखधंधा बेहिचक चल रहा है तो इसमें हैरानी कैसी.
जब मंत्रालय के आला अफसर भी इसी राह पर हैं तो बाकियों की कौन कहे. रेल मंत्रालय के 15 आला अधिकारियों ने दिल्ली के पॉश सरदार पटेल मार्ग के इन घरों को भी अपने कब्ज़े में रखा है जबकि इन अधिकारियों की पोस्टिंग दिल्ली से बाहर है. हमने इस घपले पर जवाब मांगना चाहा तो तमाम कोशिशों के बावजूद रेल मंत्री या मंत्रालय की तरफ से कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ.