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देश में हर 29 मिनट पर एक रेप, हर 15 मिनट पर छेड़छाड़

देश में हर 15 मिनट पर एक महिला से छेड़छाड़ होती है, हर 29 मिनट पर एक महिला के बलात्कार का मामला होता है और हर 53 मिनट पर एक महिला का यौन उत्पीड़न होता है.

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देश में हर 15 मिनट पर एक महिला से छेड़छाड़ होती है, हर 29 मिनट पर एक महिला के बलात्कार का मामला होता है और हर 53 मिनट पर एक महिला का यौन उत्पीड़न होता है.

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एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सामाजिक अनुसंधान केन्द्र ने इस बात का आकलन करने के लिए अध्ययन किया कि महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता के लिहाज से देश के चार राज्यों में स्थित पुलिस प्रशिक्षण अकादमियों ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्या कुछ शामिल किया.

उन्होंने बताया कि केन्द्र ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं. इनमें से एक यह है कि हर प्रशिक्षण में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाया जाए और राज्यों की जरूरत के हिसाब से विशेष प्रशिक्षण दिया जाए. मसलन आंध्र प्रदेश में महिलाओं की तस्करी होती है तो देश के उत्तर और पश्चिमी भाग में आम तौर पर कन्या भ्रूण हत्या और दहेज हत्या के मामले होते हैं.

दिसंबर 2012 में चलती बस में युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके बाद देश भर में बच्चियों के साथ बलात्कार के मामलों की बाढ़ के बीच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के महिलाओं के प्रति अपराध संबंधी आंकड़े दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की एक रिपोर्ट में पेश किये गये हैं . इनमें हर 15 मिनट पर किसी महिला से छेड़छाड़, हर 29 मिनट पर किसी महिला से बलात्कार, हर 77 मिनट पर किसी महिला की दहेज के कारण हत्या, हर 53 मिनट पर किसी महिला का यौन उत्पीड़न और हर नौ मिनट पर पति द्वारा क्रूरता बरते जाने के मामले होते हैं.

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आयोग ने सिफारिश की है कि पुलिस में हर स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की आवश्यकता है. यह काम सकारात्मक रूप से होना चाहिए, ताकि पुलिस में कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की संख्या हो. अधिकारी ने बताया कि गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ायें और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को प्रकाश में लायें. साथ ही वे महिलाओं पर होने वाले अपराधों की जांच में पुलिस की सहायता भी करें.

उन्होंने कहा कि विभिन्न सर्वे और अनुसंधान बताते हैं कि महिलाएं अक्सर हिंसा या क्रूरता के मामलों में पुलिस के पास जाना पसंद नहीं करतीं. यदि मामला दर्ज भी हो जाता है तो दोष साबित होने की दर काफी कम है. ऐसे में आयोग का मानना है कि पुलिस को हर स्तर पर महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना आवश्यक है.

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