पिछल साल 2 जनवरी को तड़के सुबह 3:30 बजे पंजाब के पठानकोट में पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर भारी मात्रा में असलहा बारूद से लैस आतंकियों ने आक्रमण किया था. आतंकियों से मुठभेड़ में 7 जवान शहीद हो गए थे और 37 लोग घायल हो गए थे. सभी हमलावर आतंकी भी मारे गए थे. लेकिन इस हमले के एक साल बाद भी यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि हमारा देश पाक प्रायोजित आतंकवाद से अपना बचाव करने में सक्षम है. पठानकोट हमले के बाद भी जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमले हुए, जिनमें हमारे देश के कई रणबांकुरे शहीद हो गए. यही नहीं इस आतंकी हमले के मुख्य सूत्रधार अब भी पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं और उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. इस तरह पठानकोट हमला भारत के सीने पर एक ऐसा जख्म है जो अभी तक नहीं भर पाया है.
सात जवान हुए थे शहीद
एयरबेस स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में कुल सात जवान शहीद हुए थे. देश के लिये प्राणों की आहुति देने वालों में लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन पी कुमार (केरल) , सूबेदार फतेह सिह
(गुरदासपुर), हवलदार कुलवंत सिह (गुरदासपुर), कांस्टेबल जगदीश सिंह (हिमाचल प्रदेश), कांस्टेबल संजीवन कुमार (सिहुआं), कांस्टेबल गुरसेवक सिह (हरियाणा), तथा मूलराज
(जम्मू-कश्मीर) शामिल थे.
सुरक्षा व्यवस्था कितनी चाक-चौबंद
इस बीच सुरक्षा व्यवस्था में तमाम बदलाव की कोशिश हुई, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश की गई, लेकिन कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई. इस मामले में चार्ज
शीट दाखिल करने में एनआईए को 11 महीने लग गए. अब महीने में कम से कम एक बैठक खुफिया एजेंसियों, सेना, एयरफोर्स, पंजाब पुलिस व बीएसएफ अधिकारियों के बीच होती है.
पंजाब पुलिस ने भी बॉर्डर सहित पूरे जिले में सीसीटीवी लगा दिए हैं. रात को एयरफोर्स की ओर से हैलीकॉप्टर से आसपास के क्षेत्र में निगरानी रखी जाती है. एयरबेस स्टेशन के साथ लगते
गांवों में नए निर्माण पर रोक लगा दी गई है.
मसूद अजहर सहित चार मुख्य आरोपी
पठानकोट हमले पर एनआईए द्वारा दाखलि 101 पन्ने की चार्जशीट में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रउफ असगर, लांचिंग कमांडर शाहिद
लतीफ और हैंडलर कासिफ जान को मुख्य अरोपी बनाया गया है. चार्जशीट में एनआइए ने अदालत को पुख्ता सुबूत सौंपे हैं. चार्जशीट में गवाह के तौर पर एफबीआई के एक विशेष एजेंट
और अमेरिकी न्याय विभाग के एक ट्रायल अटॉर्नी को शामिल किया है. हालांकि चार्जशीट को लेकर संसद की स्टैंडिंग कमेटी और गृह मंत्रालय के बीच टकराव भी सामने आया. संसद की
स्टैंडिंग कमेटी ने सवाल उठाते हुए गृह मंत्रालय से पूछा है कि पूर्व जानकारी के बाद भी हमला कैसे हुआ. कमेटी ने पठानकोट आतंकी हमले को रोकने के लिए की गई सुरक्षा तैयारियों पर
सवाल उठाया है. समिति ने पूछा है कि पहले से ही आतंकी अलर्ट होने के बावजूद आतंकवादी कैसे उच्च सुरक्षा वाले एयर बेस में घुसने में कामयाब हुए. 99 पेज की रिपोर्ट के अनुसार
हमले की ठोस और विश्वसनीय खुफिया जानकारी होने के बावजूद ढिलाई बरती गई. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में मसूद अजहर का नाम शामिल कराने की कोशिश की, लेकिन
चीन ने इसमें अड़ंगा लगा दिया.
आईएसआई को पठानकोट आने देने की आलोचना भारत सरकार ने पठानकोट हमले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए पकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक संयुक्त जांच दल को आतंकी हमले स्थल का निरीक्षण करने का मौका दिया था. इसकी विपक्षी दलों ने काफी आलोचना की थी. संसदीय समिति ने भी पाकिस्तानी भारत-पाक संयुक्त जांच दल द्वारा आतंकी हमले के स्थान का निरीक्षण करने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है.