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‘शर्मीली’ पूनम पांडे के नाम खुला खत

पूनम, हाल ही में आपने खुद को ‘बहुत शर्मीली’ बताया. इसके ठीक बाद मुंबई में आपके साथ ‘कुछ’ घटित हुआ. खुद पर आपके कमेंट से यह घटना मैच नहीं कर रही है. इसी वजह से आपको यह खुला खत लिखने को मजबूर हुआ हूं.

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पूनम पांडे
पूनम पांडे

पूनम, हाल ही में आपने खुद को ‘बहुत शर्मीली’ बताया. इसके ठीक बाद मुंबई में आपके साथ ‘कुछ’ घटित हुआ. खुद पर आपके कमेंट से यह घटना मैच नहीं कर रही है. इसी वजह से आपको यह खुला खत लिखने को मजबूर हुआ हूं.

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खुद के बारे में आपने एक ऐसी जानकारी दी है, जिससे आज की युवा पीढ़ी पहले से ही वाकिफ है. यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि यकीनन आप तो शर्मीली हैं ही, सारा कसूर हमारी निगाहों का ही है. अपनी बात कहने के लिए मुझे कुछ और शब्द खर्च करने होंगे.

दरअसल, जिन घरों की दीवारों पर ठाकुर प्रसाद या इस तरह के कैलेंडर टंगे होते हैं, उन तक आपकी ख्याति कुछ देर से पहुंची. किंगफिशर कैलेंडर तक हमारी पहुंच नहीं है, सो इस बारे में हमने महज कुछ किस्से ही सुन रखे हैं. सच क्या है, यह आपको ही पता होगा. बहरहाल, आपके नाम की धूम तब मची, जब टीम इंडिया का हौसला बढ़ाने के मकसद से वर्ल्डकप के ठीक पहले आपने कुछ ऐलान किया. आपने कहा कि अगर टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीत लेगी, तो आप न्यूड होने को तैयार हैं.

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जब धोनी के धुरंधरों के हाथों में चमचमाता वर्ल्डकप आ गया, तो हर किसी की निगाहें आपको ही तलाश रही थीं...अब कहां हैं पूनम पांडे? खैर, जल्द ही लोगों का भ्रम टूट गया. तब पहली बार हमें इस बात का पक्का यकीन हुआ कि आप सचमुच बहुत शर्मीली हैं. यह हमारी निगाहों का ही कसूर था कि टीम इंडिया के लिए बड़े से बड़ा ‘त्याग’ करने की आपकी भावना को हम कुछ और ही समझ बैठे थे. तब से लेकर अब तक अपने सैंकड़ों फोटोग्राफ आपने ट्विटर और फेसबुक के जरिए अपने दीवानों तक पहुंचाई हैं. उन सारी तस्वीरों में एक बात कॉमन होती है.

सबमें आपके चेहरे से मासूमियत झलकती है. अगर कोई हठपूर्वक आपके चेहरे से नीचे नजर डालता भी है, तो उसे हर बार मायूसी ही हाथ लगती है. उसकी हालत उस रिसर्चर जैसी होती, जो Centre(s) of Gravity पर कुछ नए तथ्य का पता लगाने निकलता हो, पर हर बार धरती के गोल होने के सुपरिचित तथ्य के साथ ही अपना-सा मुंह लिए लौट जाता हो. हर फोटो यह बताती है कि आपने अपनी एक हद तो जरूर तय की है, ताकि बुरी नजर वाले भी अपनी हद में रह सकें. मैं तो कहूंगा कि शरमाना किसे कहते हैं, यह कोई आप से सीख लें. अपने बनाए उसूलों पर चलना कोई आपसे सीख ले. मेरा आकलन है कि अगर आज बॉलीवुड के ‘द ग्रेट शोमैन’ जीवित होते, तो अपने शर्मीलेपन की वजह से आपने उन्हें जरूर मायूस किया होता. अगर आप 80 के दशक की हिरोइन होतीं और उस दौर की अभिनेत्रियां आपके प्रभाव में आ गई होतीं, तो ‘राम तेरी गंगा मैली’ और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ जैसी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पानी मांगती नजर आतीं.

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आज के दौर में भी खूब अंधेरगर्दी मची है. कोई पर्दे पर बेपर्दा हो रही है, तो कोई किसी मैग्जीन के लिए अपने कवर उतार रही है. ऐसे में आपका शर्मीलापन हर किसी को खूब भाता है.

एकाध रिक्वेस्ट के साथ चिट्ठी समाप्त कर रहा हूं. पहले तो उस बेसब्र फोटोग्राफर की जमकर खबर लीजिए, जो आपके पूरे कपड़ों में तैयार होने तक इंतजार नहीं कर सकता. खाते-पीते,बैठते-लेटते, नहाते-धोते, वक्त-बेवक्त आपकी तस्वीर खींचता रहता है. हमारे इलाके के फुटपाथ पर, सीधे-सीधे कहें तो नोएडा के अट्टा मार्केट में महज 100 रुपये में एक, दो या कभी-कभी तो तीन-तीन चुन्नियां बिना मोलभाव किए बड़ी आसानी से मिल जाया करती हैं. अगर ज्यादा तकलीफ न हो, तो इसे मंगवा लीजिए और पूरे साल में एकाध फोटो ‘सही जगह पर’ दुपट्टा डालकर भी खिंचवा लीजिए. अपने नाम के अनुरूप ही आप पूनम के चांद-सी खूबसूरत नजर आएंगी. गुस्ताखी माफ कीजिए और अब आगे से खुद को ‘बहुत शर्मीली’ बताकर हमें और शर्मिंदा मत कीजिए.

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