राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब 'The Turbulent Years 1980-1996' में संजय गांधी के बारे में जो कहा है, उससे नया विवाद खड़ा हो सकता है. प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में संजय गांधी की न सिर्फ जोरदार तारीफ की है बल्कि उनके समय बेहद विवादास्पद रहे परिवार नियोजन को भी उनके शानदार कामों में गिना है. बाबरी मस्जिद को गिराए जाने को एक बेहद शर्मनाक घटना बताते हुए प्रणब ने लिखा है कि ये एक ऐसी घटना थी जिससे दुनिया में एक सहिष्णु और धार्मिक सद्भाव वाले देश के रूप में भारत की छवि को धक्का लगा. उन्होंने लिखा है कि बाबरी विध्वंस नरसिम्हा राव सरकार की सबसे बड़ी विफलता थी.
राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी, राजनीति में बहुत लंबी पारी खेल चुके हैं. वो उन चन्द नेताओं में से हैं जो 22 साल तक केंद्रीय मंत्री रहे और विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय से लेकर वित्त मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली. इसलिए गुरुवार को जब राष्ट्रपति भवन में, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी उनकी किताब 'The Turbulent Years 1980-1996' का विमोचन कर रहे थे, तो सबकी निगाहें इस बात पर थीं कि अपनी किताब में प्रणब ने कितने राज बेपर्दा किए हैं. हालांकि खुद उन्होंने कहा कि इस मालमे में वो ज्यादा उदार नहीं हैं.
संजय की विलेन वाली इमेज मिटाने की कोशिश
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब की शुरुआत 23 जून 1980 से की है, जिस दिन एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हुई थी. संजय गांधी की तारीफ में प्रणब मुखर्जी ने विस्तार से लिखा है. इमरजेंसी के बाद संजय गांधी को एक विलेन की तरह पेश किया गया और उनके खिलाफ काफी जहर उगला गया. लेकिन संजय गांधी साफ सोच वाले एक बेबाक और निडर नेता थे. समाज के हित में उन्होंने एक 5 सूत्री कार्यक्रम बनाया था जिसमें परिवार नियोजन भी शामिल है.
नरसिम्हा को सुनाई थी खरी-खोटी
प्रणब मुखर्जी ने लिखा है की बाबरी मस्जिद को नहीं बचा पाना पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के जीवन की सबसे बड़ी विफलता थी. बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद नरसिम्हा राव से अपनी एक मुलाकात का जिक्र करते हुए प्रणब मुखर्जी लिखते हैं, 'मैंने गुस्से में उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई और पूछा कि क्या ऐसा कोई भी नहीं था जो आपको सही सलाह दे सके. मैंने पूछा कि क्या आप इसके खतरों के बारे में नहीं समझते हैं. मैंने कहा कि कम से कम अब आपको मुसलमानों की भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. अपने चिर परिचित अंदाज में नरसिम्हा राव चुपचाप सुनते रहे. लेकिन उनके चेहरे को देख कर लग रहा था कि वह दुखी और निराश हैं.'
नहीं देखा PM बनने का ख्वाब
प्रणब मुखर्जी ने माना कि 1986 में कांग्रेस से निष्काषित किए जाने के बाद अलग पार्टी बनाना उनकी भूल थी. प्रणब मुखर्जी ने इस बात का भी जोरदार खंडन किया है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे प्रधानमंत्री बनने की फिराक में थे. इंडिया टुडे के एडिटर अरुण पुरी को दिए गए राजीव गांधी के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा है कि हत्या के ठीक पहले अरुण पुरी को दिए गए इस इंटरव्यू में खुद राजीव गांधी ने माना था कि मेरे बारे में उन्हें कई गलत बातें बताई गईं थीं.