एक वक्त था जब वो साइकिल पर दूध बेचा करता था. फिर देखते ही देखते एक वक्त ऐसा आया कि उसके जहाज़ चलने लगे. उसके नाम से देश-विदेश में शहर बसने लगे. इंतहा तो ये हुई कि वो समंदर के अंदर शीशे के घर बनाने लगा. वो हकीकत में जीता था लेकिन कारोबार सपनों का था. कई करोड़ लोगों को करोड़पति बनाने का सपना. कैसे CBI जांच शुरु होने के बावजूद पर्ल ग्रुप की पोंजी स्कीम में होता रहा फर्जीवाड़े का खेल, कैसे काले धन को बदला जाता रहा सफेद धन में, जानिए आज तक के 'ऑपरेशन करोड़पति' में.
साईकिल पर गांव गांव दूध बेचने वाले निर्मल सिंह भंगू ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि दो दशक के भीतर वो हिंदुस्तान के सबसे बड़े भू-स्वामी यानी लैंड बैंक के मालिक़ बनेंगे. पजांब के चमकौर साहिब में शायद इससे पहले किसी की तक़दीर ऐसी नहीं चमकी थी.
रॉल्स रॉयस और बेंटले जैसी बेशक़ीमती गाड़ियां और गल्फ स्ट्रीम जैसे प्राइवेट जेट्स शायद भंगू के लिए कोई मायने नहीं रखते क्योंकि उनकी बेहिसाब दौलत की दुनिया अमृतसर से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक फैली हुई है. समंदर में शीशे के घर और प्रेज़ीडेन्शियल सुईट्स जैसे सैंकड़ों अपार्टमेंट्स भंगु की कंपनी पर्ल ग्रुप में सिडनी और मैलबर्न जैसे शहरों में अपने ग्राहकों के लिए संजोए हैं. हिंदुस्तान में उनकी जमीनों का हिसाब क़िताब इतना ज़्यादा है कि नक्शे पर इन जमीनों को अगर रख दिया जाए तो बेंगलुरु जैसा शहर भी छोटा पड़ जाएगा.
पंजाब के चमकौर साहिब में चमकी भंगू की किस्मत पर जब हिंदुस्तान की जांच एजेंसियों की नज़र पड़ी तो पर्ल के खरबों रुपये के मोतियों पर दाग पड़ने लग गए.
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने भंगू की खरबों रुपये की दौलत पर सवाल उठाते हुए ये कहा कि पर्ल ग्रुप ने रातों-रात अमीर बनने की पॉन्जी स्कीम के जरिए देश के भोले-भाले पांच करोड़ निवेशकों से 45 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा किए. सेबी इन सवालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची और आखिर कोर्ट ने सीबीआई को भंगू की भू-संपत्तियों की जांच के आदेश दिए. सीबीआई के अलावा भंगू के फैलते कारोबार की जांच कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी शुरू कर दी.
सीबीआई ने अपनी जांच में अब तक पाया है कि भंगू और उनके सहयोगी सुखदेव सिंह ने अपनी दो कंपनियों पीएसीएल और पीजीएफ लिमिटेड के जरिए निवेशकों को ठगने का एक बेहद घिनौना खेल खेला है.
सीबीआई जांच में खुलासा:
- पांच करोड़ निवेशकों को लूटा
- 45 हज़ार करोड़ रुपये निवेशकों से इकट्ठा किए
- बटोरी गई बेहिसाब दौलत को निजी फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया
- इस दौलत का बड़ा हिस्सा विदेश ले गए
- ऑस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया
सीबीआई के मुताबिक़ 2009 में पर्ल ग्रुप ने ऑस्ट्रलिया में अपना कारोबार फैलाना शुरू किया था. इसके तहत कंपनी ने शेरेटन मिराज होटल को ख़रीदकर कारोबार की शुरुआत की. विदेश में भंगू की बेशकीमती संपत्तियां हिन्दुस्तान में अब तक की सबसे बड़ी लूट की गवाही दे रहे हैं.
पिछले कई दिनों से आज तक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने निर्मल सिंह भंगू के कारनामों की पड़ताल शुरू की. कंपनी किस तरह भोले-भाले निवेशकों से पैसे ऐंठती हैं. इसके लिए आज तक खुफिया कैमरे की मदद से कंपनी कुछ चुनिंदा अफसरों का स्टिंग ऑपरेशन किया.
कैमरा नंबर 1
पीएसीएल पश्चिम विहार ब्रांच, दिल्ली के विकास अधिकारी श्रीराम सिंह ने कहा, 'हां तो दो नंबर का एक नंबर में Real Estate में work करती है. जमीन का पैसा जमीन में लगाती है. तो दो नंबर का पैसा ही एक नंबर बना के हमारी कंपनी देती है. इसलिए लोग काफी पैसे हमारे में..जैसे कि बहादुरगढ़..हरियाणा के लोग पूरा किला के किला बेचकर यहां लगा देते हैं.'
कैमरा नंबर 2
पीएसीएल पश्चिम विहार ब्रांच, दिल्ली के एक और विकास अधिकारी संतोष ने कहा, 'पैन कार्ड तो मैं दे दूंगा. जब आप दो नंबर का पैसा एक नंबर में बनाओगे तो पैन कार्ड देकर फंसोगे नहीं न. पैन कार्ड हम अपना देंगे या जिन 20 व्यक्ति का नाम दूंगा न, उनका पैन कार्ड लगाऊंगा.'
कैमरा नंबर 3
पीएसीएल के गुड़गांव ब्रांच मैनेजर पंकज कुमार ने कहा, 'सीबीआई इंवेस्टिगेशन ये कर रही है कि जो पैसे लगे हैं वो उनके नाम पे हैं या नहीं हैं.'
आपको जानकर हैरत होगी कि 45 हज़ार करोड़ रुपये के घपले के बाबजूद पर्ल ग्रुप अब भी भोले-भाले निवेशकों से पैसे अलग अलग लुभावने स्कीम के नाम पर रकम बटोर रहा है.
-पटियाला से मनीष कौशल और चंडीगढ़ से सत्येंद्र चौहान के साथ