दावा तो है कि ये देश की सबसे शानदार पुलिस है. बेदाग और बेजोड़ है, लेकिन जब आजतक की टीम सच समझने निकली तो इतने सुराख निकले कि सांस अटक गई. खुफिया कैमरे की ज़ुबान बोल रही हैं कि दिल्ली पुलिस वैसी नहीं है, जैसी दिखती है.
दिल्ली पुलिस हिंदुस्तान की इकलौती पुलिस है, जिसके सिपाही को हटाने के लिए भी मुख्यमंत्री भी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दे, तो भी नहीं हटाया जा सकता. ये वो पुलिस है जिसका कमिश्नर भारत के गृह मंत्री से नीचे बात ही नहीं करता. ये वो पुलिस है जिसके भरोसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी चैन की नींद सोने का भ्रम पालती है.
अब ये सारे भ्रम टूट जाएंगे. अब से दिल्ली पुलिस की वर्दी आपको ख़ाकी नहीं काली नज़र आएगी. ये फौज बेइमान नजर आएगी. आजतक के बहादुर संवाददाताओं ने दर्ज की हैं दिल्ली पुलिस की वो बेइमानियां जिसे देखने-सुनने के बाद आपको अपने पहरेदार चोर नजर आएंगे. जब आप जानेंगे कि कैसे कॉन्स्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक की जीभ नोट देखकर लपलपाने लगती है.
मुंह नहीं खोलते, हाथ पसारते हैं
पुलिस के ये 'बहादुर' अपना मुंह नहीं खोलते, लेकिन हाथ पसार देते हैं. ये दिल्ली पुलिस के अफ़सरों की वो अदा है, जिसके कद्रदानों की तलाश में इस पलटन के कारिंदे घूमते रहते हैं. न ओहदे की इज्जत का ख्याल और न वर्दी की शान का. सब इंस्पेक्टर हो या इंस्पेक्टर. उनके लिए शिकायत करने वाला भी शिकार है और आरोपी भी. इंसाफ के नाम पर दिल्ली के थानों के भीतर एक ऐसा धंधा चलता है जिसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे.
दरवाजे के पीछे और टेबल के नीचे दिल्ली पुलिस के अवैध टकसाल चलते हैं. थानेदार टकाटक नोट छापते हैं. आज तक के अंडरकवर रिपोर्टर दिल्ली पुलिस के ईमान के रिएलिटी टेस्ट पर निकले तो पता चला खाकी तो खुले बाजार में खड़ी है, बस बोली लगाने वाला चाहिए.
जानिए, कल्याणपुरी थाने में क्या कुछ हुआ?
आजतक के अंडरकवर रिपोर्टरों की टीम सबसे पहले पहुंची पूर्वी दिल्ली के कल्याण पुरी थाने में. हमारे रिपोर्टर ने थाने में मौजूद सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार को रुपयों की डील की एक बेबुनियाद कहानी सुनाई.
रिपोर्टर ने पुलिस से कहा कि उसने अपने परिचित से दो लाख रुपये की कार ख़रीदने की डील की है. अस्सी हजार रुपये एडवांस भी दे दिए, लेकिन एडवांस लेते ही कार बेचने वाले की नीयत बदल गयी. वो अब न उसे कार दे रहा है न पेशगी लौटा रहा है और न फोन उठा रहा है.
इतना सुनना था कि सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार की आंखें कत्थई से गुलाबी हो गईं. नोट और नीयत का बैर इतना दर्शनीय होता है हमने पहली बार देखा था-
आजतक- दो लाख रुपये की कार की डील हुई थी... अस्सी हजार रुपये मैंने एडवांस दिए थे....
अनिल कुमार, सब इंस्पेक्टर- कंप्लेंट लिखाई तूने....
कल्याण पुरी के सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने बैठे-बैठे शिकायतकर्ता की जेब का एक्सरे कर डाला. रिपोर्टर से कहा कि जिसे पैसे दिए है, उसे थाने बुलवाओ. थोड़ी ही देर में परिचित का भाई बनकर आजतक का दूसरा अंडरकवर रिपोर्टर दारोगा जी के सामने हाज़िर हो गया.
सारा किस्सा ज़ुबानी था, लेकिन नोट की उम्मीद में दारोगा जी इंसाफ के लिए सागर की लहरों की तरह मचल उठे. भाई को फरमान सुनाया पैसे वापस करो और थाने आओ. इसके बाद की कहानी अगर प्रेमचंद देख लेते तो गबन जैसे मशहूर उपन्यास का पूरा प्लॉट बदल देते.
आजतक- केस खत्म हो गया है. मैंने 45 हजार दे दिए हैं इसको.. 50000 निकले थे.. 5 हजार मेरे पास पड़े हैं.... मुझे ये बताइये की आगे इसमें क्या करना है... 45000 दे चुका हूं... 80000 का इसका केस है.. 80000 मुझे देने थे... 45 दे चुका है.... 35000 और देने हैं... जो मैं कल दे दूंगा... आपके पास फोन आए भाई साहब तो ये मत बोलना की मेरी बात हो गयी हैं... ये मत बोलना की मेरी मीटिंग हुई आपसे...
अनिल कुमार, सब इंस्पेक्टर- ठीक है... मैं क्यों बोलूंगा....
आजतक- मीटिंग मत बोलना... क्योंकि बोलेंगे तो वो कहेगा कि मेरी बातचीत हो गयी है..
आजतक- और आपकी फीस क्या है.. ये बता दीजिए..
अनिल कुमार- मैं ऐसे फोर्स नहीं करता.. जो तुम्हें लगता है... जो भी Sufficient है.. मैं ऐसा कुछ नहीं कहता... ये दिल्ली पुलिस है.. यूपी पुलिस नहीं है... तुम तो हरियाणा से हो.. हरियाणा के मुंह फाड़ते हो... तुम्हारा matter solve हो गया है.. जो तुम्हें लगता है..
एसआई साहब की ईमानदारी का नगाड़ा सुनकर निहाल हो जाने को जी करता है. भक्त जो चाहे देवता पर चढ़ा दे. वो प्रसन्न हो जाएंगे और देवता खुश तो कानून को मारो दुलत्ती.
आजतक- इसमें मेरी जो दरख्वाहस्त है आपसे... FIR नहीं होनी चाहिए...
अनिल कुमार- चिंता मत करो कोई दिक्कत नहीं है.. बस ये ही की उस तरफ से complaint नहीं होनी चाहिए....
देखिए, कितनी दिलदार है दिल्ली पुलिस. यूपी वालों की तरह मुंह नहीं खोलती, इशारे में जो मिल जाए उसी पर संतोष कर लेती है. चढ़ावे के इंतजार में दारोगाजी का धैर्य जवाब दे रहा था. इसीलिए अब वो डराने लगे थे. इशारा ये था कि मुट्ठी गर्म नहीं की तो मामला तिहाड़ पहुंच सकता है.
आजतक- सर, ये तो छोटा से केस है...
अनिल कुमार- केस तो कोई भी हो... अब इतना सा चाकू मार दिया तो यहां केस नहीं बनेगा... अब ये एक फाइल है... एक लड़के के साथ ग़लत काम कर दिया उसमे तिहाड़ जाएगा.... एक में तीन साल की सज़ा है.... इसमें दस साल से लेके उम्र क़ैद तक की सज़ा है जो मेरी फाइल रखी है.. तो प्रोसेस तो वहीं अब तिहाड़ जाएंगे...
आजतक- ये पांच हज़ार रुपये है भाई सहाब....
अनिल कुमार- चलो कोई दिक्कत नहीं... टेंशन मत लो... उसका कर दूंगा...
आजतक- और तो ज़रूरत नहीं कोई
अनिल कुमार- नहीं ठीक है जैसा भी है...
तो दिल्लीवालो कल्याणपुरी थाने में पांच हज़ार रुपल्ली के इनाम में दारोगाजी ने ईमान सूली पर टांग दिया. वर्दी अभी भी बदन पर टंगी हुई थी लेकिन बिकी हुई.
दक्षिणी दिल्ली के गोविंदपुरी थाने में क्या हुआ?आजतक- कोई यहां का कुछ सेवा-पानी हो
मदनपाल भाटी, इंस्पेक्टर, गोविंदपुरी थाना- अरे भाई मेरे
आजतक- बता दीजिए सर बस मेरा ये है कि केस दर्ज न हो
मदनपाल भाटी- ख़ुशी से जो भी देके जाएगा.... ख़ुशी से... complaint मैंने ही deal की थी... ये मेरे पास ही आ गया था... ज़्यादातर तो हम... मैं एडिशनल एसएचओ हूं न.. लिखा भी हुआ है.... वो पढ़ लो आप ..
दिल्ली पुलिस में सारा खेल खुशी का है. मुकदमा दर्ज कराना हो तो खुशी से दीजिए, मुकदमा हटवाना तो खुशी से दीजिए. आपको हर हाल में खुश रहना है, क्योंकि आप खुश नहीं होंगे तो दिल्ली पुलिस को खुश कैसे करेंगे.
आजतक- सर इसके (शिकायतकर्ता) के पैसे दे दूंगा मैं... लेकिन सर बस further complaint न हो..
मदनपाल भाटी- मैं यार गारंटी दे दूं क्या
आजतक- complaint न हो FIR न हो.... इसका पैसा कल शाम तक दे दूंगा....
मदनपाल भाटी- ख़ुद दे देना.... यहां आके दे देना... मुझे कोई दिक्कत नहीं है
आजतक- मैं दे दूंगा.... इसको और दूसरा बस ये हैं
आजतक- इसको (शिकायतकर्ता) को समझा देना
मदनपाल भाटी- समझा दिया.. समझा दिया
आजतक- दोबारा न आए.... पैसे इसको दे दूंगा
मदनपाल भाटी- दोबारा नहीं आएगा.. दोबारा आपको बुलाया भी नहीं जाएगा....
इसे कहते हैं खुशी. गागर में सागर की तरह छलक जाती है. गांधी बाबा वाले नोट दराज में जाते ही दिलदार हो गए. जाओ जी जाओ. किसी की क्या मज़ाल जो मुलज़िम को थाने तक बुला ले.
ये दिल्ली के बिके हुए वो दारोगा हैं, जिनपर दिल्ली की पुलिस को नाज़ है और कमिश्नर को इत्मीनान. लेकिन दिल्ली पुलिस के पास अनिल कुमार या मदनपाल भाटी जैसे चमकदार सितारों की पूरी सीरीज है. हम आपको बताएंगे दिल्ली के एक और थाने के बारे में जहां एक और तीन सितारा इंस्पेक्टर नोट के लिए नीयत को क़ब्र में डालने का इंतज़ार कर रहे थे.
इंस्पेक्टर साहब को बस हरियाली दिखा दीजिए. फिर चाहे जो भी कीजिए. आपके खिलाफ ना तो कोई एफ़आईआर दर्ज होगी और ना कोई शिकायत.आजतक– फिर भी कुछ तो इस केस में बनता है, क्योंकि भाई को निकालना है (इस केस से)...
नरुका– भाई के ऊपर कुछ नहीं आएगा... चिंता मत करो.. मैं बैंठा हूं....
आजतक– बस इसकी तरफ से ये जो ढक्कन आदमी….. ये कोई FIR न करे....
नरुका– ढक्कन को मैं ठीक कर दूंगा.... बिल्कुल... ढक्कन के बारे में बेफिक्र रहिए आप... ठीक है... ढक्कन की ऐसी की तैसी... और भाई को ले आओ तो बहुत अच्छा रहेगा...
आजतक- भाई साहब ये दस हजार रुपये हैं.... ओह... पांच हज़ार रुपये हैं... पांच हज़ार हैं ये.... लेकिन भाई साहब एक तो ये है और दूसरा issue ये है.... बस FIR या complaint कुछ न हो...
नरुका– नहीं होगी... तुस्सी फ़िक्र मत करो.... कल brother को ले आना साथ में....
हेड कॉन्सटेबल दिगंबर सिंह दिलदार होने के साथ-साथ बेहद ईमानदार भी हैं. दारोगा साहब बेहद यकीन के साथ कह रहे हैं कि काम नहीं होगा तो दाम भी नहीं लूंगा.
दिगंबर सिंह– काम हो जाना चाहिए अगले का.... अपनी ख़ुशी से जो दे दे... इस मामले में करोल बाग में था... एक सुनार के घर चोरी हुई थी.. गाड़ी की स्टेपनी और ये निकाल लिया था... उसने बोला भाई साहब एफआईआर दर्ज करा दे तो क्लेम ले लूंगा... मैंने बोला कि एफआईआर दर्ज क्यों करा रहे हो...
आजतक– ये दो हज़ार रुपये हैं...
दिगंबर सिंह– कोई बात नहीं है... मैं क्लेम ले लूंगा.. उसने मेरे को.... भाई साहब बोला... आठ हज़ार दिए... मैं आपके... कब की बात है.. ये 90 की बात है.... तो मैंने एसएचओ से बात की.. कि ऐसे ऐसे बात है.... बोले यार क्यों मुकदमा बढ़ा रहे हो.... तो मैंने कहा कि बात तो ठीक है... फिगर बढ़ जाएगी चोरी की... तो मैंने ये कहा कि यार उसका नाम था.... वो बंगाली था... तो अच्छा सोने का कारखाना था.. अच्छी पार्टी थी.. कलकत्ता का रहने वाला था.... तो मैं गया बोला कि... मैं.. यार मनोज था उसका नाम.. मनोज एफआईआर क्या करेगा तू.... साहब भी ऐसा कह रहे हैं... यार केस आपको करना है.... तफ्तीश साहब को करना है.... यार क्यों खामखां एक ओर फिगर बढ़ा रहे हो.... क्यों काउंट तो होना नहीं है..... तो मैं बोला कि कुछ होना तो नहीं है.... वो बोला कि चल ठीक है ले...मैंने कहा कि अपने पैसे ले... वो बोला ये क्यों... मैंने बोला भाई काम नहीं हुआ तो दाम नहीं लूंगा...
इस तरह गणतंत्र पर लगाया ग्रहण
29 जनवरी शाम साढ़े चार बजे राजपथ पर गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद बीटिंग रिट्रीट का समारोह शुरू होने वाला था. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री राजपथ पर पहुंच चुके थे, देश के गृहमंत्री और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बी.एस. बस्सी भी इस समारोह में शामिल थे. लेकिन राजपथ से महज कुछ सौ मीटर दूर रायसीना रोड पर दिल्ली पुलिस का चेहरा बेनकाब हो रहा था.
आज तक के अंडर कवर रिपोर्टर ने अपनी कार को नो-पार्किंग जोन में खड़ा किया था, कार को ट्रैफिक पुलिस उठाकर ले गई. नियम के मुताबिक चालान भरने के बाद कार उसके मालिक को सौंप दी जाती है. लेकिन बीटिंग रिट्रीट का मौका था तो दिल्ली पुलिस ने भी भ्रष्टाचार का खूब नगाड़ा बजाया. यहां तैनात हेड कॉन्सटेबल गिरराज मीणा ने टाइम खराब नहीं करने की बात कहकर मामला वहीं रफा-दफा करने की बात कही और फिर रुपये लेकर ऐसा कर भी दिया.
सभी घूसखोरों को सस्पेंड करके भ्रष्टाचार का मामला चलेगा: दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने कहा है कि रिश्वतखोरों को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है और इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा, 'इस तरह के लोगों को हमारे सामने लाएं लोग, ताकि दिल्ली पुलिस बेहतर सेवा कर सके.'
एंटी करप्शन ब्रांच को संज्ञान लेने को कहा सीएम ने
आज तक का ऑपरेशन दिल्ली पुलिस का असर ये हुआ कि दिल्ली पुलिस ने घूसखोरों को सस्पेंड कर दिया. उधर, सीएम अरविंद केजरीवाल ने एंटी करप्शन ब्रांच को इस मामले में संज्ञान लेने और सभी के मामलों में जांच करने के निर्देश दिए. अरविंद केजरीवाल ने आज तक से इस स्टिंग का टेप मांगा है. उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी घूसखोर को बख्शा नहीं जाएगा, सबके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
AAP के नेताओं ने खूब लताड़ा पुलिस को
आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने आजतक के ऑपरेशन दिल्ली पुलिस पर ट्वीट किया, 'पुलिसवालों को कैमरा पर घूस ले रहे हैं. आजतक ने इसे दिखाया है. मैं उम्मीद करता हूं कि अरुण जेटली इस पर एक ब्लॉग लिखेंगे.'
संजय सिंह, मनीष सिसोदिया ने भी ट्वीट करके कहा कि दिल्ली पुलिस का पक्ष लेने वाले बीजेपी के नेता अरुण जेटली को इस मामले पर भी ब्लॉग लिखना चाहिए.
सीबीआई को जांच सौंपी गई
आजतक स्टिंग ऑपरेशन के बाद दिल्ली पुलिस ने ऐलान किया कि पुलिस के घूसखोरों की सीबीआई जांच होनी चाहिए. गृहमंत्रालय ने सीबीआई जांच को हरी झंडी दे दी है.
उमेश डंग और सपन गुप्ता के साथ अक्षय सिंह