scorecardresearch
 

ऑपरेशन गुजरात हवाला: चुनाव के लिए ब्लैक मनी कैसे इधर से उधर?

बता दें कि चुनाव आयोग ने इस विधानसभा चुनाव में हर उम्मीदवार  के लिए अधिकतर चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख रुपए बांध रखी है. तमाम राजनीतिक दलों के नेता भी साफ-सुथरे चुनाव और राजनीति की दुहाई बार-बार देते हैं. लेकिन इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स अपनी जांच से सकते में डाल देने वाली हकीकत सामने लाए हैं.

Advertisement
X
ऑपरेशन गुजरात हवाला
ऑपरेशन गुजरात हवाला

Advertisement

पारदर्शिता के वादे और चुनाव कैम्पेन पर खर्च संबंधी चुनाव आयोग की बंदिशें किस तरह हाशिए पर धकेली जा रही हैं, ये गुजरात में अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव में काले धन के जमकर हो रहे इस्तेमाल से देखा जा सकता है. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम ने अपनी तहकीकात से चुनाव में अवैध पैसे के इस काले खेल को बेनकाब किया है.

बता दें कि चुनाव आयोग ने इस विधानसभा चुनाव में हर उम्मीदवार  के लिए अधिकतर चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख रुपए बांध रखी है. तमाम राजनीतिक दलों के नेता भी साफ-सुथरे चुनाव और राजनीति की दुहाई बार-बार देते हैं. लेकिन इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स अपनी जांच से सकते में डाल देने वाली हकीकत सामने लाए हैं. किस तरह गुजरात के बहुत अहम माने जा रहे इस चुनावी संग्राम में राजनीतिक दल अपने भाग्य और कैश के लिए तरह तरह के चैनलों का सहारा ले रहे हैं. पैसे को इधर उधर करने में कुछ ‘आंगड़ियों’ की सक्रियता का भी खुलासा हुआ है.  

Advertisement

बता दें कि आंगडियों का पारंपरिक तौर पर हीरा कारोबारी इस्तेमाल करते रहे हैं. इन्हीं के माध्यम से पीढ़ियों से हीरे जवाहरात को गुजरात, मुंबई और नई दिल्ली में पहुंचाया जाता रहा है. मोटे लेनदेन को बिना किसी चूक और ईमानदारी से अंजाम देने की वजह से आंगडियों को बरसों से भरोसेमंद माना जाता रहा है. यही वजह है कि ज्यादातर आंगड़ियों को हीरा कारोबार की रीढ़ माना जाता रहा है. लेकिन छुपे कैमरे पर इस सिस्टम से जुड़े कुछ आंगड़ियों को ये कहते हुए कैद किया गया है कि किस तरह  राजनीतिक दलों ने गुजरात चुनाव से पहले बेहिसाबी पैसे को इधर से उधर करने के लिए उनके नेटवर्क का सहारा लिया है.   

अहमदाबाद की वी. पटेल आंगड़िया सर्विस को राज्य के अग्रणी कूरियर्स में से एक माना जाता है. इस सर्विस के कर्ताधर्ताओं के मुताबिक मौजूदा चुनाव सीजन में उनका धंधा कई गुना बढ़ गया है.  

अहमदाबाद के सी जी रोड स्थित वी. पटेल आंगड़िया सर्विस के दफ्तर का प्रबंधन करने वाले हितेशभाई ने अंडर कवर रिपोर्टर से कहा, ‘नकदी की खेप (हमें मिलने वाली) 2-3 लाख रुपए से बढ़कर 15-20 लाख (मौजूदा समय में) हो गई है.’  

खुद का परिचय एक राजनीतिक दल के एजेंट के तौर पर देने वाले अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा- ‘इसका मतलब हर दिन टर्नओवर करोड़ों में रहता होगा?’

Advertisement

हितेशभाई-  ‘हां, भाई हमको मुनाफा ये डेढ़ महीने में ही मिलता है.’

रिपोर्टर- अभी चुनाव के दौरान

हितेशभाई- हां, रिस्क लेते हैं मुनाफा कमाने के लिए, अभी तक कोई ऐसा इंसीडेंट नहीं हुआ है.

रिपोर्टर- रिस्क

हितेशभाई- देखो, पॉलिटिशियन्स को मालूम है, अधिकारियों को भी मालूम है, उनका पैसा आंगड़िया में ही रहता है, सबका पैसा आंगड़िया में रहता है.  हितेशभाई ने आगे दावा किया कि भ्रष्ट नेता-नौकरशाह भी अपने काले धन को छुपाने के लिए गुजरात के आंगड़िया नेटवर्क को भरोसेमंद मानते हैं.हितेशभाई ने कहा, ‘नेता और नौकरशाह, दोनों जानते हैं (हमारे काम के बारे में). वो सभी आंगड़ियों के पास पैसा रखते हैं.’  हितेशभाई ने ये दावा भी किया कि गुजरात के किसी भी कोने में मतदान से पहले करेंसी नोटों के बंडल पहुंचा दिए जाएंगे.   

हितेशभाई ने कहा, ‘हम पैसे का अगले दिन पहुंचना सुनिश्चित करेंगे. ये एक दिन पहले (मतदान से) डिलीवर हो जाएगा. ये कारोबार हम पहले भी कर चुके हैं. आपका जो भी पैसा 7 तक (7 दिसंबर) मेरे पास आएगा, वो 8 को आपके ठिकानों पर पहुंचा दिया जाएगा.’

इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने अपनी जांच में पाया कि कुछ आंगड़ियों के जरिए चलने वाली गुजरात की ये ब्लैक मनी एक्सप्रेस बहुत कम फीस पर बिना जोखिम डिलिवरी की ठोस गारंटी देती है. इस धंधे का आधार कम मुनाफे लेकिन बड़े पैमाने वाले लेनदेन पर टिका है.   

Advertisement

हितेशभाई ने कहा, ‘जब आप हमें पैसा देते हैं, ये हमारी जिम्मेदारी बन जाता है. अगर ये डिलिवर नहीं होता तो आप अगले दिन ही अपना पैसा मुझसे वापस ले सकते हैं.’

हितेशभाई ने दस करोड़ रुपए गुजरात में कहीं भी पहुंचाने के लिए अपनी फीस डेढ़ लाख रुपए बताई. साथ वादा किया, ‘इसे पहुंचा दिया जाएगा, जिस व्यक्ति को भी आप कहेंगे, उस तक कैश पहुंचा दिया जाएगा.’  

अहमदाबाद के आर सी एंटरप्राइज के आंगड़िया भूपेंद्र ठक्कर ने अंडर कवर रिपोर्टर्स को साफ किया कि क्यों उनके धंधे से कभी कोई पकड़ा नहीं जाता. ठक्कर ने खुलासा किया कि क्योंकि वो कैश खुद साथ लेकर नहीं चलते. एक सेंटर पर जब नकदी की खेप मिल जाती है तो उनके एजेंट तय ठिकाने पर डिलिवरी अपने पास मौजूद कैश रिजर्व में से कर देते हैं.

ठक्कर ने कहा, ‘किसी भी सेंटर (जिले) पर जहां आप कैश भेजना चाहते हैं, वहां पैसे का इंतजाम किया जा सकता है. आप मुझे दो घंटे में फोन करना कि आपके कौन कौन से सेंटर में मिला और कौन से सेंटर में नहीं मिला.’

ठक्कर के मुताबिक खुद के लिए ऐसी डिलिवरी के लिए एक घंटे का लक्ष्य रखा जाता है. लेकिन फिर भी बोलने के लिए मैं इसे बढ़ाकर ढाई घंटे कर रहा हूं.    

Advertisement

जांच से सामने आया कि पारंपरिक तौर पर गुजरात से जुडा रहने वाला आंगड़िया नेटवर्क अब नई दिल्ली समेत देश के दूसरे कोनों में भी फैल रहा है.

सूरत में सोमाभाई कांचालाल आंगड़िया ऑपरेशन के भूपेंद्रभाई ने अंडरकवर रिपोर्टर्स के सामने खुलासा किया कि किस तरह दिल्ली में बैठे राजनीतिक समूह गुजरात में कैश डिलिवरी के लिए कई राज्यों में फैले कुछ आंगड़ियों की मदद ले रहे हैं.  

भूपेंद्रभाई के मुताबिक एक राज्य से दूसरे राज्य में डिलिवरी के लिए कुछ ज्यादा चार्ज किया जाता है. एक करोड़ रुपए के लिए 40,000 रुपए.

इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी कुछ आंगड़ियों की संदिग्ध गतिविधियों की जांच की.  

जांच से पता चला कि राजनीतिक आका गुजरात के लिए पुरानी दिल्ली की अंधेरी गलियों से गुजरात तक चुनाव कैम्पेन के लिए पैसा पहुंचाने में लगे हो सकते हैं.

चांदनी चौक के कूचा घासी राम से ऑपरेट करने वाले आंगड़िया कन्नूभाई ने कहा, ‘हमने कई लोगों को पैसा भेजा है. ये सब दिल्ली से मिले कैश के दम पर चलता है.’

अंडर कवर रिपोर्टर- चुनाव के लिए?

कन्नूभाई ने कहा, ‘हां, 50-50 करोड़ रुपए वहां खर्च हो रहे हैं. पैसा लखनऊ भी भेजा गया था जब लखनऊ (उत्तर प्रदेश चुनाव) हुआ था. सब छुपा रहता है. आप आज यहां दो. वो कल डिलिवर कर दिया जाएगा. यहां दो, वहां ले लो. मामला खत्म.’

Advertisement

कन्नूभाई ने सब कुछ छुपे तौर पर होने की गारंटी दी, साथ ही अवैध खेप के लिए किसी भी तरह के कागजी काम का झंझट ना होने की बात भी कही.

पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में एक और आंगड़िया अशोकभाई ने प्रतिदिन के हिसाब से हवाला पैसा गुजरात भेजने की बात कबूल की.

अंडरकवर रिपोर्टर ने पूछा- ‘उम्मीद है कि पकड़े जाने का कोई रिस्क नहीं रहता होगा.’

अशोक भाई- ‘कोई फिक्र की बात नहीं, ये मेरा रोज का काम है. चुनावी फंड है तो भी कोई फिक्र नहीं.’

अंडर कवर रिपोर्टर- ‘क्या आपने पहले किसी चुनाव में भी ये किया है.’   

अशोकभाई- ‘यही तो है वो जो हम यहां असल में करते हैं.’

Advertisement
Advertisement