जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार हुए कन्हैया कुमार ने असल में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी की ही नहीं थी. आजतक के एक्सक्लूसिव स्टिंग में इसकी पड़ताल की गई है. इसमें पुलिस की ओर से जिन लोगों को चश्मदीद गवाह बनाया गया है, उनका बयान है.
सुरक्षागार्ड ने कहा भीड़ को शांत करने आया था कन्हैया
जेएनयू के सुरक्षा सहायक अमरजीत के मुताबिक 9 फरवरी की शाम को जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार साबरमती ढाबे पर मौजूद ही नहीं था. अमरजीत ने हालांकि यह माना कि कन्हैया ने गंगा ढाबे के पास भाषण दिया था. लेकिन अमरजीत ने कन्हैया को किसी भी तरह की नारेबाजी करते नहीं सुना था. उसने भाषण भी इसलिए दिया क्योंकि डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन और एबीवीपी के सदस्य एक दूसरे से भिड़ने वाले थे और वह शांति की अपील कर रहा था. अमरजीत दिल्ली पुलिस के लिए चश्मदीद गवाह हैं.
तीन साल से अफजल के समर्थन में हो रहा कार्यक्रम
9 फरवरी की शाम को दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्सटेबल एसएसी रामबीर भी उस कार्यक्रम सादे कपड़ों में मौजूद थे. जब आजतक की टीम ने उनसे कन्हैया के नारे लगाने को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि कन्हैया कुमार भीड़ में तो मौजूद था लेकिन उन्होंने उसे नारे लगाते हुए नहीं देखा. हालांकि हेड कॉन्सटेबल रामबीर ने यह भी खुलासा किया कि जेएनयू में पहली बार अफजल के समर्थन में कार्यक्रम का आयोजन नहीं हुआ. बीते तीन साल से यह कार्यक्रम हो रहा है लेकिन अभी तक चुपचाप होता था. रामबीर ने यह भी कहा कि उमर खालिद ने देशविरोधी नारे लगाए थे.