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Opinion: सोमनाथ भारती को इस्तीफा देना ही चाहिए

आम आदमी पार्टी इन दिनों बड़े विवाद के केन्द्र में है और उसके मंत्री सोमनाथ भारती उससे भी ज्यादा विवादों के घेरे में हैं. विवाद और आम आदमी पार्टी में गहरा रिश्ता है. चाहे वह कुमार विश्वास के बयान हों या कुमारी बिड़ला की कार का शीशा टूटने का प्रकरण, पार्टी कई तरह के विवादों में फंसती रही है लेकिन वह सब छोटे-मोटे विवाद थे जिन्हें तूल देना उचित नहीं होगा.

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सोमनाथ भारती
सोमनाथ भारती

आम आदमी पार्टी इन दिनों बड़े विवाद के केन्द्र में है और उसके मंत्री सोमनाथ भारती उससे भी ज्यादा विवादों के घेरे में हैं. विवाद और आम आदमी पार्टी में गहरा रिश्ता है. चाहे वह कुमार विश्वास के बयान हों या कुमारी बिड़ला की कार का शीशा टूटने का प्रकरण, पार्टी कई तरह के विवादों में फंसती रही है लेकिन वह सब छोटे-मोटे विवाद थे जिन्हें तूल देना उचित नहीं होगा.

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लेकिन दिल्ली के खिड़की गांव में जिस तरह से सोमनाथ भारती ने रेड करने की कोशिश की और पुलिस वालों को धमकाने की कोशिश की वह तो अपने आप में एक दुखद घटना है. सुदूर अफ्रीका से भारत में पढ़ाई करने या फिर दो वक्त की रोटी कमाने आए लोगों पर बिना सबूत के वेश्यावृति और ड्रग कारोबार का आरोप लगाना कितना अनुचित है, वह शायद भूल गए.

एक वकील होने के नाते उन्हें कानून का भी ज्ञान होगा जो कहता है कि किसी महिला को मर्द पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं कर सकते. यह जानते हुए भी उन्होंने बड़े अफसराना अंदाज में पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का हुक्म दिया. जब उन्होंने इनकार किया तो वह दादागीरी पर उतर आए. बात यहीं तक खत्म हो जाती तो शायद ठीक था. उनकी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने उन्हें सही साबित करने के लिए बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया.

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केजरीवाल ने इस घटना के अलावा डेनमार्क से आई एक महिला के साथ बलात्कार का मामला भी उठा दिया. इस मामले में भी सोमनाथ भारती की भूमिका शर्मनाक रही है. उन्होंने पीड़िता का नाम ही ज़ाहिर कर दिया जो कानून गलत है. इन दोनों मामलों को देखने के बाद तो लगता है कि कानून मंत्री का कानून ज्ञान कमज़ोर है. एक वकील इतनी बड़ी गलतियां कैसे कर सकता है?

लेकिन इन सब पर पर्दा डालकर वह आंदोलन में शामिल हो गए. उन्हें तो अरविंद केजरीवाल को रोकना चाहिए था. लेकिन अपनी दादागीरी बरकरार रखने के लिए उन्होंने इस मामले को खूब तूल दिया. वह चाहते तो मामले को और भी तरीके से सुलझा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा करना उचित नहीं समझा. शायद वह यह सोच रहे थे कि इससे वह शहर में अपना दबदबा और बढ़ा सकेंगे. अपने समर्थकों के सामने अपना कद बड़ा रखने के लिए उन्होंने आंदोलन को हवा दी.

हैरानी की बात यह है कि आम आदमी पार्टी अपने मंत्री का बचाव करती दिख रही है और पुलिस के खिलाफ शिकायत कर रही है. अगर दूसरी पार्टी के नेता ऐसा करते तो क्या केजरीवाल चुप बैठते? दूसरों पर आरोप मढ़ देने में तो वह सबसे आगे रहे हैं. वह ऐसा अवसर नहीं गंवाते. लेकिन अब जब उनके खुद के मंत्री आरोपों के घेरे में हैं, उनके खिलाफ एफआईआर हो गई है और उन पर रेसिज्म का आरोप लग रहा है तो ऐसे में राजनीति में शुचिता और जीरो टॉलरेंस की बातें करने वाले केजरीवाल चुप क्यों बैठे हैं?

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इस घटना से तो दुनिया भर में रेसिज्म से लड़ने वाले भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हुई है. केजरीवाल को तुरंत सोमनाथ भारती से इस्तीफा मांग लेना चाहिए और उन्हें जांच पूरी हो जाने तक बैठने के लिए कहना चाहिए. एक निष्पक्ष जांच के लिए भी यह जरूरी है कि वह इस्तीफा दें. यह नैतिकता का भी तकाजा है.
(मधुरेंद्र प्रसाद सिन्‍हा वरिष्‍ठ पत्रकार और हमारे संपादकीय सलाहकार हैं)

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