भारत-पाकिस्तान सीमा रायफलों और मोर्टार की गोलाबारी गूंज रही है. दोनों ओर से कई लोग हताहत हुए हैं और हजारों लोग सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि रक्षा मंत्री अरुण जेटली को दिल्ली में दो टूक शब्दों में बयान देना पड़ा कि अगर यह गोलीबारी जारी रही तो पाकिस्तान इसकी बड़ी कीमत चुकाएगा. जाहिर है कि पाकिस्तान की तरफ से भी कड़ा बयान आना था और आया भी. वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया. उन्होंने जनता तो यह दिखाया कि पाकिस्तान किसी से डरता नहीं और वह भारत को जवाब दे सकता है.
पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ इस समय इस्लामाबाद से कई सौ मिल दूर उत्तरी वजीरिस्तान में हैं जहां उनकी फौजें आतंकवादियों से पिछले चार महीने से जबर्दस्त लड़ाई लड़ रही हैं. उनके साथ उनके सेना प्रमुख जनरल रहील शरीफ भी हैं. ये दोनों इस समय वहां नहीं हैं तो इस मुद्दे पर अब निर्णायक फैसला कौन लेगा. यह कठिन है. लेकिन नवाज शरीफ की समस्या है कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी उन्होंने दो महत्वपूर्ण विभाग रक्षा और विदेश परोक्ष रूप से फौज के हवाले कर दिया है. ऐसे में यह सोचना भी गलत होगा कि वह इस गोलाबारी को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे. यह गोलाबारी पाकिस्तान की फौज पाकिस्तानी रेंजरों से करवा रही है जो वहां की अर्ध सुरक्षा बल है.
इसके पीछे मंशा साफ है कि वह इस ओर जनता का ध्यान आकर्षित करवा सके. लेकिन अब भारतीय रक्षा मंत्री के कड़े बयान के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि इस बार भारत नहीं झुकेगा और पाकिस्तान को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा. भारत ने यह जता दिया है कि पहले पाकिस्तान फायरिंग बंद करे और तब बातचीत होगी. भारत का यह आक्रामक रुख पाकिस्तान को वाकई भारी पड़ेगा. एक जमाना था कि पाकिस्तान ऐसे हथकंडे अपनाकर विदेशी मुल्कों खासकर अमेरिका और इंग्लैंड की सहानुभूति जीत लेता था और उनसे भारत पर शांति बनाए रखने के लिए दबाव बनवाता था. अब पाकिस्तान को सोचना पड़ेगा कि जो आग उसने लगाई है उसे बुझाया कैसे जाए.
पाकिस्तान को अच्छी तरह से मालूम है कि हाल के वर्षों में भारत ने अपनी सैन्य व्यवस्था बहुत मजबूत कर ली है. उसके पास उपयुक्त हथियार और अति प्रशिक्षित सैनिक हैं जिनका हौसला मजबूत है. यह लड़ाई और तेज हुई तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को बहुत चोट पहुंचेगी. पाकिस्तान आर्थिक दीवालियेपन का शिकार देश है और वहां सरकार के पास जनता का पेट भरने के लिए पैसे भी नहीं है. इसके अलावा उसकी फौजें उत्तर में आतंकवादियों से कठिन लड़ाई लड़ रही है जिसमें बहुत सा धन जाया हो रहा है. बहरहाल रक्षा मंत्री के बयान के बाद अब पाकिस्तान को अच्छी तरह समझ में आ गया होगा कि भारत इस बार उसे माफ नहीं करेगा. इस बार उसे झुककर बातचीत करनी ही होगी. बड़े पैमाने पर लड़ाई तो उसके बस में ही नहीं है. एक आक्रामक भारत उसके लिए बहुत खतरनाक है. बेहतर होगा कि वह इस तरह की गोलाबारी बंद करे, अन्यथा इस बार उसे काफी क्षति उठानी पड़ेगी.