नई सरकार के एक मंत्रालय ने पहले दिन से ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और यह है मानव संसाधन मंत्रालय. जब अभिनेत्री से राजनेता बनीं स्मृति ईरानी को इस मंत्रालय का महत्वपूर्ण पद सौंपा गया था तो विद्वतजनों की भौहें तन गईं. लेकिन मामले को किसी ने तूल नहीं दिया.
उसके बाद आया उनकी शिक्षा डिग्री का मामला और फिर उठा केन्द्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा और संस्कृत का विवाद. वह भी सत्र के बीचोंबीच. इससे छात्र-छात्राओं में बड़ा भ्रम फैला और किसी की समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है. जर्मन को हटाकर संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाया गया और अब विद्यालय कह रहे हैं कि इससे संस्कृत की परीक्षा लेना संभव नहीं होगा. यानी एक तरह से अफरातफरी का माहौल बन गया. अब खबर आई कि क्रिसमस पर स्कूल खुले रखने से संबंधित एक सर्कुलर जारी हुआ है ताकि उस दिन गुड गवर्नेंस डे मनाया जा सके.
उस दिन अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदनमोहन मालवीय का जन्मदिन है. इस खबर ने जबर्दस्त विवाद पैदा कर दिया है. आखिर एक बड़ी छुट्टी को कैसे रद्द किया जा सकता है खासकर जबकि उस दिन से हजारों स्कूलों में सर्दी की छुट्टियां हो जाती हैं और दूसरे शहरों से आए बच्चे अपने घर वगैरह जाते हैं. मंत्री ने इस तरह का फरमान कैसे जारी किया, यह किसी की समझ में नहीं आया. अब उन्होंने ट्विटर के जरिये स्पष्ट किया है कि ऐसा कुछ नहीं है और स्कूल उस दिन बंद रहेंगे लेकिन एक निबंध प्रतियोगिता ऑनलाइन होगी. मंत्री ने इस बारे में अपना स्पष्टीकरण दिया और इस बाबत खबरों को झूठा बताया.
मानव संसाधन मंत्रालय विवाद पैदा करने वाले कदम क्यों उठा रहा है, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है. इससे किसका भला होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है. क्रिसमस खुशियों का त्यौहार है और उसमें सभी शामिल होते हैं. स्मृति ईरानी ने भी अपने स्कूल में क्रिसमस की छुट्टियां मनाई होंगी. बेशक वह जश्न में शामिल नहीं हुई होंगी लेकिन दूसरों की खुशियों पर पानी फेर देने का यह आधा-अधूरा फैसला दुखद है.
अब स्मृति ने साफ कर दिया है कि उस दिन स्कूल बंद रहेंगे लेकिन सवाल यह है कि ऐसा अनावश्यक विवाद क्यों उठा? बेहतर होगा स्मृति विवादों से बचें और इस मंत्रालय के कामकाज को बेहतर बनाएं. यह देश के भविष्य से सीधे जुड़ा हुआ है और यहां हर कदम सोच-समझकर उठाने की जरूरत है. उन्हें यह भी समझना होगा कि छुट्टियां रद्द कर देने से बच्चे ज्यादा नहीं पढ़ने लगेंगे.