नई सरकार के सौ दिन पूरे हो गए. तमाम सर्वे और रिपोर्ट फिलहाल उसके पक्ष में हैं. जनता को लगता है कि यह सरकार सही ढंग से काम कर रही है. वह सरकार के मुखिया के काम काज के तरीके से भी संतुष्ट दिखती है. देश के प्रशासन में सुधार साफ झलकता है और विकास दर में बढ़ोतरी हुई है.
ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है. शेयर बाज़ारों में उत्साह का माहौल है. सेंसेक्स एक नई ऊंचाई पर जा रहा है और कई शेयरों के दाम तो साल के अधिकतम पर जा पहुंचे हैं. विदेशी निवेश की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. लेकिन इन सबके बावजूद मंहगाई एक ऐसा मुद्दा रहा जिस पर सरकार घिरती नजर आ रही है.
पिछली सरकार कई वर्षों से महंगाई पर अंकुश लगाने की कोशिश करती रही लेकिन कुछ भी नहीं कर पाई. नतीजतन उसे लोक सभा चुनाव में करारी मात खानी पड़ी. महंगाई बेहद संवेदनशील विषय है. यह आदमी के पेट से जुड़ा हुआ है. खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई आम घरों का बजट बिगाड़ देती है. वह उसे तकलीफ देती है और उसके भविष्य को खतरे में डाल देती है. वोटर सब कुछ सह सकता है लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई नहीं. उसके लिए यह एक तकलीफदेह मुद्दा है जिसका वह फौरन हल चाहता है.
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में कई छोटे और बड़े कदम उठाए हैं. कई बड़ी घोषणाएं भी हुईं. कई तरह की योजनाएं भी बनीं. लेकिन महंगाई पर कहीं कोई चर्चा नहीं. कोई भी जिम्मेदार नेता या अधिकारी इस पर बात नहीं कर रहा है. जाहिर है जब इस संवेदनशील और जटिल मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं होगी तो इसका समाधान कैसे निकलेगा? यह ऐसा मुद्दा है जिस पर जमकर चर्चा और बहस होनी चाहिए थी क्योंकि महंगाई भारत के लिए अब स्थायी मुद्दा बन गया है.
अब इसके दूरगामी समाधान की बात की जानी चाहिए और उपाय तलाशे जाने चाहिए. कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिनके दाम अकसर बढ़ जाते हैं और वह सरकार के गले की फांस बन जाता है. इनसे कैसे छुटकारा पाया जाए? महंगाई से निपटने के लिए क्या दीर्घकालिक नीति बनाई जाए, इस पर बैठकें होनी चाहिए. जमाखोरों और मुनाफाखोरों के खिलाफ क्या कारर्वाई हो, इस पर आम राय बननी चाहिए. किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले और ग्राहक तक वह उचित मूल्य में पहुंचे. बिचौलियों की भूमिका पर कैसे अंकुश लगे, यह बहुत ही बड़ा विषय है. महंगाई नियंत्रित करने के लिए इस तरह के तमाम सैद्धांतिक और व्यावहारिक कदम उठाए जाने चाहिए.
अब देखना है कि नई सरकार इस चुनौती का कैसे सामना करती है. सिर्फ बढ़िया मानसून के भरोसे रहने से इसका समाधान नहीं हो सकता. महंगाई की आग को स्थायी रूप से बुझाना होगा ताकि इसकी आंच रायसीना रोड तक न पहुंच जाए.