मानवरहित रेल क्रॉसिंग पर एक और हादसा हुआ. उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में गुरुवार की सुबह बच्चों को ले जा रही एक वैन मानवरहित रेल क्रॉसिंग पर तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गई. छह मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दर्जन भर बुरी तरह जख्मी हुए. गंभीर घायलों को बीएचयू के अस्पताल में रेफर किया गया है.
इसके बाद गुस्साए हुए लोगों ने जाम लगा दिया और वे वहां फाटक बनवाने की मांग करने लगे. लेकिन बच्चों को ले जाने वाले वाहन की ट्रेन से टक्कर की यह पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी ऐसा हो चुका है. हाल ही में आन्ध्र प्रदेश में भी ऐसी ही दर्दनाक घटना हुई थी जिसमें कई बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. वहां भी पहले जनता ने रेल अधिकारियों के खिलाफ आवाज़ उठाई और रेल फाटक बनाने की मांग की. लेकिन वहां और मऊ की इस घटना में एक समानता है. दोनों मामलों में गाड़ियों के ड्राइवर कान में ईयरफोन लगाकर गाने सुन रहे थे और उन्हें न तो ट्रेन दिखी और न ही उसकी आवाज़ सुनाई दी. उन्होंने मासूम बच्चों की जिन्दगियों के साथ खिलवाड़ किया और सड़क कानून तोड़ा जिसकी सजा बच्चों ने भुगती.
पूरे भारत में ये घटनाएं आम हैं. मानवरहित रेल क्रॉसिंग को लोग जिस लापरवाही से पार करते हैं या उसे देखते तक नहीं हैं, उसकी सजा अमूमन मौत के रूप में मिलती है. हर साल सैकड़ों लोगों की जानें रेल क्रॉसिंग पर चली जाती है. यह जानते हुए भी कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है, लोग ऐसा करते हैं. उन्हें अपनी और दूसरों की जान की परवाह नहीं होती. हादसा होने के बाद जनता रेल फाटकों की मांग करते हुए आंदोलन करती है. लेकिन तब कोई यह आवाज़ नहीं उठाता कि गलती किसकी है.
जिस देश में लोग फाटक वाले क्रॉसिंग में भी जबर्दस्ती ट्रैक पार करते हैं वहां क्या उम्मीद की जा सकती है? अगर सैकड़ों घटनाएं मानवरहित क्रॉसिंग की हैं तो ऐसा ही सैकड़ों घटनाएं चौकीदारों वाले फाटकों पर भी होती है. कई मामले तो ऐसे भी आए जिसमें लोगों ने जबरदस्ती फाटक खुलवाकर अपने वाहनों को ट्रैक पार करवाया. देश भर में हजारों रेल फाटक ऐसे हैं जिनमें चौकीदार नहीं है. लेकिन वहां सूचना पट्ट लगे हुए हैं, स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं और दूर से ट्रेन भी दिखती है. लेकिन लोग उन्हें नहीं देखते और सावधान भी नहीं रहते. अधीर होकर या उतावलेपन में फाटक पार करने की कोशिश करते हैं. दुर्धटना होने के बाद चौकीदार की मांग करते हैं.
लेकिन देश भर के लगभग 35,000 रेल क्रॉसिंग पर चौकीदार तैनात करना आर्थिक तंगी से जूझ रहे रेलवे के लिए संभव नहीं है. राज्य सरकारों को उसमें भाग लेना होगा. अगर उन्हें ऐसा लगता है कि यह बहुत जरूरी है तो वे इसके लिए रेलवे की आर्थिक मदद कर सकते हैं. लेकिन राज्य सरकारें इस मामले में उदासीन सी दिखती हैं और जनता है कि सुरक्षा के सामान्य नियमों को मानने को भी तैयार नहीं है.