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Opinion: गडकरी के घर जासूसी, कौन है पीछे?

अभी नई सरकार के गठन के दो महीने भी नहीं हुए कि खबर मिली कि एक वरिष्ठ मंत्री के घर पर जासूसी के उपकरण लगे हुए पाए गए. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के 13 तीनमूर्ति लेन स्थित निवास से कुछ जासूसी उपकरण बरामद हुए.

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नितिन गडकरी
नितिन गडकरी

अभी नई सरकार के गठन के दो महीने भी नहीं हुए कि खबर मिली कि एक वरिष्ठ मंत्री के घर पर जासूसी के उपकरण लगे हुए पाए गए. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के 13 तीनमूर्ति लेन स्थित निवास से कुछ जासूसी उपकरण बरामद हुए. बताया जाता है कि ये उपकरण वहां होने वाली बातचीत सुनने के लिए लगाए गए थे और निहायत ही उम्दा किस्म के थे. ये अमूमन विदेशी एजेंसियों खासकर सीआईए और एनएसए द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं.

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ये उपकरण बरामद तो हो गए हैं लेकिन सवा लाख टके का प्रश्न खड़ा हो गया कि वो कौन लोग थे जिन्होंने इन्हें गडकरी के निवास पर लगवाया? अब यह भी सुनने में आया है कि गडकरी ने कहा कि उनके दिल्ली नहीं मुंबई वाले निवास में ये उपकरण मिले.

बहरहाल बात एक ही है. एक केबिनेट मंत्री के घर से इस तरह के उपकरण का मिलना न केवल हैरान कर देने वाली बात है बल्कि देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है. इससे देश का कोई भी राज छुपा नहीं रह पाएगा.

दिग्विजय सिंह सरीखे कांग्रेसी नेता चाहे कुछ भी कह लें, सच तो यह है कि यह मामला बहुत गंभीर है. ध्यान रहे कि पिछले दिनों इस राज से पर्दा उठा था कि अमेरिकी सरकार ने भारत में बीजेपी के नेताओं की जासूसी करवाई थी. अमेरिकी जासूस दूसरे देशों में अपने देश के हितों की रक्षा के बहाने इस तरह की जासूसी करवाते रहते हैं.

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यह रहस्योद्घाटन सीआईए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन ने किया था और इस खुलासे के बाद अमेरिका को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी. लेकिन इसमें कुछ आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि अमेरिका में इस आशय का एक कानून है जिसके तहत वहां की जासूसी एजेंसियां किसी भी देश में जाकर जासूसी कर सकती हैं. अगर ऐसा है तो भारत सरकार को इससे निबटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. ऐसा न करने से हमारी सुरक्षा खतरे में रहेगी.

जो लोग इस मामले को पार्टी के अंदरूनी विवाद का हिस्सा कह रहे हैं या जताने की कुचेष्टा कर रहे हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि किस तरह के उपकरण बरामद हुए हैं क्योंकि जब ऐसे उपकरण भारतीयों के पास है ही नहीं तो ये यहां के लोगों का काम कैसे हो सकता है? हर मामले को राजनीतिक रंग देने की हमारे राजनीतिज्ञों की आदत मामले की गंभीरता को कम कर देती है. अब सरकार को इस मामले की तह में जाना होगा और ऐसे कदम उठाने होंगे कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो.

इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी गुप्तचरी को और मजबूत करें, उसे एक ताकत बनाएं और देश के हित में उसका सदुपयोग करें. आखिर जहर का तोड़ जहर ही होता है. जबतक ऐसा नहीं होगा, इस तरह की घटनाओं की खबरें आती रहेंगी. हम नई सरकार से इस बात की उम्मीद तो कर ही सकते हैं.

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