scorecardresearch
 

Opinion: तृणमूल के छाते के नीचे

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस इन दिनों आंदोलन के मूड में है. शारदा चिटफंड घोटाले में जिस तरह से पार्टी के विधायक और सांसद फंसते जा रहे हैं उससे ममता की नींद उड़ गई है. तिस पर से वर्धमान धमाकों ने राज्य की जनता के विश्वास को हिलाकर रख दिया है. दोनों ही मामले इतने संवेदनशील हैं कि ये पार्टी के भविष्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. शारदा चिट फंड घोटाले की आंच में तो स्वयं ममता घिरती दिख रही हैं.

Advertisement
X
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस इन दिनों आंदोलन के मूड में है. शारदा चिटफंड घोटाले में जिस तरह से पार्टी के विधायक और सांसद फंसते जा रहे हैं उससे ममता की नींद उड़ गई है. तिस पर से वर्धमान धमाकों ने राज्य की जनता के विश्वास को हिलाकर रख दिया है. दोनों ही मामले इतने संवेदनशील हैं कि ये पार्टी के भविष्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. शारदा चिट फंड घोटाले की आंच में तो स्वयं ममता घिरती दिख रही हैं.

Advertisement

वर्धमान धमाकों के बाद उनके पास कोई जवाब नहीं है और वह सारा दोष बीजेपी पर थोप रही हैं. उनका कहना है कि बीजेपी वहां धमाकों के जरिये उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश कर रही है. उनका मानना है कि मोदी सरकार वहां दंगे कराना चाहती है और उनकी साख धूमिल करना चाहती है. वह आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती हैं और आलोचनाओं के तीर लगातार छोड़ रही हैं. कोलकाता की सड़कों पर उतरकर उन्होंने एक तरह से अघोषित युद्ध का ऐलान किया और दुश्मन को ललकारा.

सड़क की राजनीति में ममता बनर्जी का कोई सानी नहीं है. उन्होंने कोलकाता की सड़कों पर बड़े-बड़े आंदोलन किए और बूढ़े नेतृत्व वाले वामदलों को जबर्दस्त पटखनी दी. कोलकाता की सड़कें उनके सैकड़ों रैलियों और प्रदर्शनों की गवाह हैं. लेकिन इस बार जब वह सड़क पर उतरीं तो उन्हें निराशा हाथ लगी क्योंकि पहले की तुलना में भीड़ कम थी. यह उनके लिए आश्वस्त करने वाली बात नहीं है. जाहिर है ममता अब इस खेल को बड़े पैमाने पर खेलना चाहती हैं और कोई तरीका या मुद्दा चाहती हैं जिससे मोदी सरकार को पटखनी दी जा सके. अब उन्हें काला धन दिखा तो उनके सांसद छाते लेकर संसद में पहुंच गए. उन छातों पर काला धन वापस लाने के नारे लिखे हुए थे.

Advertisement

बहरहाल ममता और उनके सांसदों के छाते ने बहुत सी निराश पार्टियों को शरण दे दी है. बीजेपी की यूपी में बढ़ी हुई ताकत से परेशान सपा और चारों खाने चित्त कांग्रेस अब उसके नीचे आ गई है. उन सभी के लिए यह अच्छा मौका है और वे अपनी-अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं. संसद का यह शीतकालीन सत्र उन तमाम पार्टियों के लिए नई रोशनी लेकर आया है जो निराशा के अंधेरे में डूबी हुई हैं. ममता का छाता उन्हें शरण देता दिख रहा है. वे अपनी राजनीति फिर से चमकाने और जनता का विश्वास जीतने के लिए इसके नीचे आ सकते हैं. इस छाते को चमका कर ममता खुद भी अपने राज्य की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकती हैं. अब इसमें उन्हें सफलता मिलेगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा.

Advertisement
Advertisement