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Opinion: भारत-पाक रिश्तों में क्रिकेट की अहमियत

बात जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की आती है, तो क्रिकेट का ख्याल सबसे पहले आता है. कहने को तो यह खेल है, लेकिन हमेशा एक विरोध के प्रतीक या हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

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बात जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की आती है, तो क्रिकेट का ख्याल सबसे पहले आता है. कहने को तो यह खेल है, लेकिन हमेशा एक विरोध के प्रतीक या हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

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जब-जब दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आती है, तो यह सबसे पहला शिकार हो जाता है. 1965 के युद्ध के बाद से अब तक कई बार दोनों देशों की तनातनी का खामियाजा इस खेल को भुगतना पड़ा है. क्रिकेट भारतीयों के लिए जितना बड़ा नशा है, उतना ही बड़ा पाकिस्तानियों के लिए भी है. क्रिकेट वहां का सबसे पसंदीदा खेल है और जब भारत-पाकिस्तान मैच होता है, तो वह जैसे कि उन्माद में बदल जाता है. दोनों के बीच हर मैच ऐसा होता है कि वक्त थम जाता है, लोग दिल थामे रह जाते हैं और जीतकर ऐसा लगता है, मानो दुनिया जीत ली हो. फिर ऐसे में सवाल है कि दोनों के रिश्तों में कड़वापन की बलि यह क्यों चढ़ जाता है? भारत सरकार आनन-फानन में क्रिकेट मैच ही क्यों बंद करवा देती है? हॉकी सहित दूसरे खेल तो चलते रहते हैं. फिर क्रिकट को यह सजा क्यों दी जाती है?

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यह सच है कि भारत-पाकिस्तान के संबंधों को बिगाड़ने में वहां की फौज और आईएसआई का बड़ा हाथ रहा है. इन दोनों के भारत विरोधी रुख के कारण ही आज इतने वर्षों बाद भी दोनों पड़ोसी सामान्य जीवन नहीं बिता पा रहे हैं. हमेशा दुश्मनी की एक आहट सुनाई देती रहती है. वहां के अराजक और आतंकवादी तत्व कश्मीर में खून-खराबा करते रहते हैं. कभी-कभार उनके फौजी भी गोलीबारी करते रहते हैं. यानी रिश्तों को बेहतर करने के रास्ते में कई तरह के कांटे हैं. सवाल है कि अगर रास्ते में इतने कांटे हैं, तो उन्हें दूर करने के भी तरीके होंगे. अगर कांटों का मुकाबला करने के लिए रास्ता ही बंद कर दिया जाए तो यह कैसा समाधान है?

दरअसल भारत और पाकिस्तान के जटिल रिश्तों को सरल बनाने के लिए जरूरी है कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से अधिक से अधिक संवाद करें. क्रिकेट इसका एक सशक्त माध्यम हो सकता है. इसे पृष्ठभूमि में डालकर हम पाकिस्तान की करतूतों पर गुस्सा तो ज़ाहिर कर सकते हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकाल सकते. बेहतर होगा कि खेल की भावना से हम खेलें और पाकिस्तान के लोगों को बताएं कि हम रिश्ते बेहतर करने में यकीन करते हैं. अब पाकिस्तान चाहता है कि दोनों देश क्रिकेट मैचों की सीरीज शुरू करें, तो हमें ऐतराज नहीं होना चाहिए. हम उनके साथ खेलेंगे, तो जनता और जनता के बीच एक संवाद कायम होगा, जो दोनों देशों के लिए बढ़िया होगा. उसे अलग रखकर हमें कुछ नहीं हासिल होगा, साथ लेकर चलने से कुछ मंजिलें शायद मिल ही जाएं.

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